मेरा नाम सोनू है मेरी उमर अभी 24 है मैं स्कूल के दिनों से ही चोदने का बड़ा शौकीन हूं लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया।
सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती खैर ऊपर वाले के घर देर है लेकिन अंधेर नही है मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी जब मैं 12वी कक्षा में था मैं सायंस में था हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी।
उनका नाम रितिका था उस समय वो 30 साल की थी बहुत सुंदर थी उसका फिगर 36-26-36 ऊंचाई 5’6 वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे लेकिन किसी के भाव नही देती थी।
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क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया।
अक्तूबर का महीना था शाम को स्कूल के छुटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी क्लास ख़तम होते होते 7 बज गए अँधेरा हो गया था सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई।
रितिका मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे थोडी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा तुम मेडम को घर छोड़ देना मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं मैंने कहा ठीक है बारिश रुकने का नाम ही नही ले रही थी।
इतने में जोर कडाके के साथ बिजली चमकी तो रितिका डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई मैंने भी कुछ सोचा नही और रितिका को मेरी बाँहों में भर लिया वो डर से कांप रही थी थोडी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही।
रितिका की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा लंड भी खड़ा हो गया था अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी।
मैंने कहा कोई बात नही फ़िर उसने कहा प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए 20 मिनिट में हम घर पहुंच गये फ़िर उसने मुझे अंदर आने को कहा।
तो मैंने कहा फ़िर कभी (मै थोड़ा भाव खा रहा था लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नही चाहता था) फ़िर उसने पूछा कहीं पास में ही रहते हो तो मैंने बताया की बाजू के गाँव में रहता हूं।
और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो 7:15 को निकल जाती है तो उसने कहा पागल तो नही हो गए क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे अंदर आओ मैं तुम्हे तौलिया देती हूँ।
ड्राई हो जाओ और में तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया थोडी देर बाद रितिका वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी।
और हाथ में चाय का कप था चाय का कप लेते हुए मैंने जान बूझ कर उसके हाथ को छुआ फ़िर हमने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था लंड तना हुआ था।
और बार-बार मेरी नजर उसके स्तन के उपर ही जा रही थी जो उसके नजर से बाहर नही था बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी रितिका ने कहा मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है क्या आज रात तुम यही नही रह सकते मैंने कहा ठीक है।
बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला उसको छू लेता था करीबन 11 बजे हम सोने गए।
15-20 मिनिट के बाद जोरदार कडाके से बादल गरजने लगे तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया।
उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपके थे शायद उसने ब्रा भी नही पहनी थी अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नही करना चाहता था फ़िर भी मैंने हिमत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा।
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उसने कोई आपत्ति नही जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी मैं हलके से उसके बालो को भी सहलाने लगा तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलिया मेरी पीठ पर हलके से कस रही थी और सांसे तेज हो रही थी।
मेरा तीर निशाने पर लगा था अब मेरी हिम्मत और बढ़ी मैंने अपने होठों को उसके नाजुक होठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया तो उसकी सांसे और तेज होने लगी वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी।
अब मैं जान गया की वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है मैंने अपने गरम होठं उसके होठों पे रख दिए और धीरे से किस किया फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होठं को चूमने लगा इस बार उसने मुझे जोर से जकड लिया और चूमने लगी।
अब कोई रूकावट नही थी हम दोनो जोर से एक दूसरे के होठों को चूसने लगे फ़िर मैंने अपनी जीभ रितिका के मुह में डाल दी वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हलके से दबाया।
उसके बूब्स एकदम कड़क थे फ़िर गाउन के ऊपर से निपल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलो की तरह चूमने लगी अब मैंने उसका गाउन उपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया।
मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा उसको बहुत मजा आ रहा था एक हाथ से मैं बूब्स को दबा रहा था तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढाया उसकी चड्डी भीग चुकी थी इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं।
की वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी अब मैं उसकी चूत से खेलने लगा मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया अब वो एकदम नंगी थी उसने भी मेरा तोलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी।
मैंने अपना मुहं उसकी चूत पर रख दिया उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी चूत टेनिस बोल की तरह फूली हुई थी जो क्लीन शेव्ड थी मै उसी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा।
अब वो खुशी के मारे हलके से बोल रही थी सोनू मुझे बहुत मजा आ रहा है चूसो मेरी चूत को आआ आआया आआआआआअ आआआ उ ऊउऊ ऊ ईई ऊई ऊई आह आआह्ह्छ सोनू मुझसे और इंतजार नही हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो प्लीज़ फक मी।
मैं भी तैआर था उसने दोनों पैर मेरे कंधो पर रख दिए अब मैंने अपना 8 इंच लंबा और 3.5 लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा तो वो गिड़गिड़ाने लगी प्लीज़ सोनू मुझे चोदो ना मत तड़पाओ अब मैंने अपने लंड का सुपाडा।
उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया मर गई निकालो निकालो मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया लगभग 6 तक मेरा लंड उसकी चूत में घुस गाया।
उसकी चूत से खून बहने लगा सारी दीवारे टूट गई वो जोर जोर से चिल्लाने लगी मैंने अपने होठं उसके होठं पर रख दिए और एक धक्का मारा इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया वो दर्द के मारे तड़पने लगी।
मैं थोडी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा 2 मिनिट बाद उसने थोडी राहत महसूस की तो अपने कुल्हे उठाने लगी अब मैंने धीरे धीरे अपना लंड अन्दर -बाहर करने लगा।
अब उसकी स्पीड बढाती जा रही थी करीब 20 मिनिट बाद उसका शरीर तंग हो गया वो झड़ गई अब पूरा कमरा फचक फचाक फचक की आवाज से गूंज रहता साथ में रितिका की सिस्कारियां आ आया या य्य्य्य्य्य्य ओह या या ऊऊऊउईईईईईईई ईईईईईईईईईई आआआआह्ह्ह्ह्ह्।
मैंने भी स्पीड बढाई मेरा लंड रितिका की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था अब मेरी बारी थी सांसे एकदम तेज हो गई दोनों पसीने से तर हो रहे थे हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे।
बस हम और हमारी सिसकारिया आखिर कर 35 मिनिट बाद मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया इस दौरान रितिका तीन बार पानी छोड़ चुकी थी थोडी देर हम ऐसे ही एक दूसरे को लिपट के पड़े रहे।
उसके बाद हम ने दो बार चुदाई की उस रात फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ मे शावर लिया जब हम शावर में थे तब मैंने उसकी गांड मरने की इच्छा जाहिर की तो उसने कहा आज नही फ़िर कभी।
फ़िर हंसकर बोली आज तो तुने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया फ़िर रूम में आके एक दूसरे की आगोश में नंगे ही सो गए फ़िर अचानक नींद खुल गई मेरा लंड खड़ा हो गया था और रितिका मेरा लंड चूस रही थी।
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मैंने पूछा सोई नही थी क्या तो वो बोली डार्लिंग सुबह के 8 बज चुके हे मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था तो अपने आप को चूस ने से रोक नही पाई रात को भी ठीक से चूस ने को नही मिला था।
मैंने कहा अब ये तुम्हारा ही है जब चाहे चूस लो जब चाहे चुदवालो और उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने नही गवायाँ आज भी वो उतनी सुंदर और सेक्सी है अभी भी मौका मिलते हम मिलते है।