हल्दी की रात नन्दोई के लंड के साथ

sexstoryinhindi.in में मैंने अपने होने वाले पति के जीजा से शादी से पहली रात में ही चुदवा लिया. असल में मुझे मेरा ननदोई पहली नजर में ही पसंद गया था।

नमस्कार मेरे प्यारे पाठको, आप सबके लन्ड राजा और चूत रानियों को पूजा का प्यार भरा नमस्कार।
कैसे हैं आप सब!

उम्मीद है आपने मेरी कहानियां पढ़ी होगी। मैं पूजा शर्मा, जामनगर गुजरात की रहने वाली मस्त पटाखा माल हूं। मैं 32 साल की, शादीशुदा महिला हूं लेकिन हूं एक नंबर की चुदक्कड़।

मेरी पिछली कहानियों में मैंने अपने स्कूल और कॉलेज लाइफ की चुदाई की दास्तां आपसे शेयर की।
अब मैं आगे की जिंदगी में घटी ऐसी ही कुछ मजेदार किस्से आपके लिए लाई हूं।

आशा करती हूं ये भी आपको ऐसे ही मजा देंगे जैसे पहले कहानियों में आपने मजे लिए।

अब यह नई नवेली है मेरे हल्दी वाली रात की!

आप सब जानते हैं कि मैं और मेरी मॉम शिल्पा दोनों को हर रोज नया लन्ड लेना होता है।
मैं अब 25 साल की हो गई थी, मेरा बदन एकदम भर गया था। मेरी जवानी उछल रही थी।

32-26-34 की साइज में मैं एकदम आइटम बॉम्ब लगने लगी।

हल्दी की रात नन्दोई के लंड के साथ

Chachi Sex Story

मेरा गोरा रंग, फूले हुए चूचे और गांड मेरी सुंदरता में चार चांद लगाते।
अभी तक बहुत सारे लौड़े मेरी चूत की सैर कर चुके थे।

और इसी बीच मुझे रिश्ते आने लगे।
इतनी माल लड़की को कौन नहीं चाहेगा कि ये अपने घर में आए।

इतने में एक रिश्ता मेरे मॉम पापा को बढ़िया लगा।
लड़का बढ़िया था।

उनका कंस्ट्रक्शन का बिजनेस था, रसूखदार फैमिली थी।

तो मिलने मिलाने का प्रोग्राम वगैरा हुआ।

मुझे भी लड़का अच्छा लगा तो मैंने भी हां कर दी।
लड़का इकलौता था और एक उसकी बहन थी जो शादीशुदा थी।

मेरी सास घर पर ही रहती और ससुर जी और मेरे पति बिजनेस संभालते।
सब तय हुआ।

शादी की डेट तय हुई।

और शादी उनके यहां राजकोट में होने वाली थी।

शादी से एक दिन पहले हल्दी की रस्म थी।
तो हम लोग हल्दी के दिन राजकोट पहुंचे।

हमारे साथ मां पापा, दीदी जीजू और कुछ रिश्तेदार भी थे।

एक बड़े से फंक्शन हॉल में हल्दी और शादी होने वाली थी।
हम सीधे वहां पहुंचे।

पूरे रीति रिवाज के साथ हमारा स्वागत हुआ।

मेरी सास ससुर, ननद और ननदोई जी सब बेहद खुश थे।

मेरी ठरक से तो आप सब वाकिफ हैं ही!
मैंने देखा कि ननदोई जी के आंखों में कुछ अलग ही खुशी थी।

वे मुझे घूर रहे थे।

मैं उनके पैर छुने झुकी तो बड़े मजे से मेरे मम्मे देखने लगे।
मैंने सोचा चलो अंजु बेबी, सेक्स एक्सप्रेस शायद ससुराल में भी नहीं रुकेगी। और मैं रोकना भी नहीं चाहती थी।

वैसे ननदोई जी बड़े हैंडसम हंक थे।
उनका नाम रमेश था।

शायद 40 के आसपास की उम्र, लेकिन हट्टे कट्टे और बड़ी मूछों वाले!
उनका कसा हुआ शरीर मुझे पहली नजर में ही भा गया।

वे राजकोट के ही पास गांव के रियासतदार थे।
सैकड़ों एकड़ जमीन के मालिक और ना जाने कितनी प्रॉपर्टी के मालिक थे वे!

मैंने मन में सोच लिया कि ससुराल में मेरा पहला निशाना इनको ही क्यों ना बनाया जाए।
उनकी आंखों में मैंने छिछोरापन देखा था।

और वैसे भी मैंने सुना था कि रसूखदार मर्द तो कई औरतों से रिश्ता रखते हैं।

हल्दी की रस्म रात में होने वाली थी।
अभी शाम हुई थी।

मैं और मॉम एक कमरे में ठहरे हुए थे। मैं तैयार होने लगी।
सब तैयार होने में बिजी थे।

इतने में डोर बेल बजी।
मॉम ने खोला तो मेरी ननद और ननदोई जी थे।

वे कुछ सजने संवरने का सामान लाए थे।

मेरी ननद बहुत ही खुले विचारों वाली थी, जल्द ही मुझसे लगाव रखने लगी।

हम बात करने लगे तो मैंने देखा कि ननदोई जी बार बार मुझे ताड़ने में लगे थे।
मैंने भी अपनी अदाओं से उन्हें दीवाना बनाया हुआ था।

हल्दी का प्रोग्राम खत्म हुआ।
रात के ग्यारह बजे थे।

मैंने एक हल्के पीले रंग की ट्रांसपेरेंट साड़ी पहनी हुई खड़ी थी, जो हल्दी से और पीली पीली हो गई थी।
मेरे मुंह पर, पेट पर सभी जगह हल्दी लगी हुई थी।

तो मैं चेंज करने अपने रूम में गई।

अंदर जाते समय मैंने देखा कि ननदोई जी बाल्कनी में खड़े होकर सिगरेट पी रहे थे।
मुझे देखकर वो मुस्कुरा रहे थे।

जवाब में मैं भी हंस दी।

हल्दी की रात नन्दोई के लंड के साथ

First Time Sex Story

वे समझ गए और मेरे कमरे के पास आए।

मेरे पास आकर बोलेअरे तुम्हारा बदन तो पूरा हल्दी से पीला हो गया।
मैंने कहाहां ननदोई जी, मैं फ्रेश होने ही आई हूं। पूरा शरीर चिपचिपा सा हुआ है।

रमेश जी बोलेथोड़ी मदद मैं भी करूं? फ्रेश कर दूंगा तुम्हें!
और वासना भरी आंखों से देखने लगे।

मैं कहां पीछे हटने वाली थीअच्छा जी, मैं भी देखूं कैसे फ्रेश करते हो?
वो बोलेअंदर चलें या यहीं फ्रेश होना हैं अंजु बेबी?

हम हंसते हुए कमरे में आए।
कमरे में आते ही उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया।

मैं उनके सामने खड़ी थी।
दरवाजा बंद करते ही वो आकर मुझसे लिपट गए और मेरी गर्दन और चेहरे पर चूमने लगे।

मैं भी उनका पूरा साथ देने लगी।

धीरे धीरे उन्होंने मेरा पल्लू हटा दिया।
अब वे मेरे उरोज दबाने लगे।

ननदोई जी का यह अंदाज मुझे मदहोश करने लगा था।

अब वे मेरे पेट पर हाथ फेरते हुए मेरी नाभि पर किस करने लगे।
मैं एकदम स्तब्ध खड़ी थी।

अब रमेश जी ने आहिस्ते आहिस्ते मेरी साड़ी खोल कर निकाल दी।
जल्द ही उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया; देखते ही देखते वो जमीन पर गिर गया।

अब मैं एक ब्लू पैंटी में गई।

उठकर उन्होंने अपने कपड़े भी उतार दिए।
झट से वो नंगे हो चुके थे।

उनका खड़ा लन्ड देखकर मेरे मुंह में तो पानी गया।
काला, मोटा और उसपर हल्के हल्के बाल उनके लौड़े की शोभा बढ़ा रहे थे।

मैंने भी बिना देर किए अपना ब्लाउज खोल दिया।
अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।

ननदोई जी ने मुझे अपनी बाहों में लेकर उठाया और बेड पर ले जाकर पटका।
हमारे पास वक्त की कमी थी, मैंने भी जल्द ही अपनी पैंटी खींच कर उतार दी।

अब मेरी चिकनी चूत रमेश जी के सामने थी।

उन्होंने अपना लन्ड मुझे चूसने का इशारा किया मगर मैंने कहावो सब बाद में करेंगे। जल्द से एक राउंड पूरा करते हैं, मॉम किसी भी वक्त सकती हैं।

मेरे कहते ही रमेश जी लन्ड सीधा मेरी चूत में डालने लगे।
लेकिन मैंने उन्हें रोककर मेरी पर्स में से कंडोम निकालने को कहा।

उन्होंने पर्स से कंडोम निकाला।

पर्स में और भी कंडोम थे।
उन्हें देखकर ननदोई जी ने कहातुझे देखते ही पता चला था, तू बहुत बड़ी कमीनी हैं। साली रण्डी, हर बार तैयारी में रहती है क्या?

मैंने कहावाह जी वाह! ननदोई जी आप तो जौहरी निकले।
तेरे जैसी कितनी चूतें रोज मेरे नीचे होती हैं।उन्होंने जवाब दिया।

मैंने कंडोम उनके लन्ड पर चढ़ाया और लेट गई।
अब उन्होंने लन्ड को मेरे चूत पर लगाया और एक करारा धक्का लगा दिया।

एक ही झटके में उनका 7 इंच का लंबा लन्ड मेरी चूत में समा गया।
मैं जोर से चिल्ला उठी।

लेकिन रमेश जी ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया तो मेरी चीख वहीं दब गई।

ननदोई जी अपना भारी भरकम शरीर से मेरे ऊपर सवार होकर मुझे चोदे जा रहे थे।
मैं भी नीचे से अपनी गांड़ उठा उठा कर उनका साथ देने लगी।

मैं जोर जोर से आहें भर रही थीअह्हउम्ह्ह रमेश जी जल्दी कीजिएकोई जायेगा।
लेकिन वे ताबड़तोड़ मेरी चूत पर हमला करते रहे।

लगातार दस मिनट तक वो मेरी चूत फाड़ते रहे।
फिर मैं उन्हें उकसाने के लिए पीछे से उनकी गांड में उंगली करने लगी।

तो उन्होंने गुस्से में आकर मेरे गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया।
फिर भी मैंने उंगली करना जारी रखा।

मैं चुदाई के खेल में माहिर खिलाड़ी थी।
मर्द की गांड़ को सहलाने या उंगली करने से वो जल्द झड़ जाता है इसलिए मैं लगातार उनकी गांड में उंगली करती गई।

थोड़ी ही देर बाद ननदोई जी दो जबरदस्त शॉट लगाते हुए झड़ने लगे।
झड़कर वे मेरे ऊपर लेट गए।

मैं उनके होंठों से होंठ लगाकर किस करने लगी।

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इस बीच उनकी मूंछें मेरे मुंह में जाने लगी तो मुझे बहुत मज़ा रहा था।

हम चुम्मा चाटी में खो गए।

इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई।
हम एकदम से चकित हो गए।

लेकिन मैंने आवाज लगाईकौन है?”
तो जवाब में मॉम की आवाज आईअरे अंजु बेबी मैं हूं, खोल दरवाजा!

ननदोई जी एकदम डर गए, मुझे कहने लगेअब क्या करें। तुम्हारी मम्मी गई है।
उनकी गांड फट रही थी और इधर मैं हंस रही थी।

ननदोई जी ने हड़बड़ाहट में अपने कपड़े पहने और एक कोने में खड़े हो गए।

मैंने एक तौलिया लपेटा और दरवाजा खोला।
दरवाजा खोलते ही मॉम अंदर आई और हमें इस हालत में देखते ही वो भी हंसने लगी।

हम दोनों मां बेटी हंस रही थी और इधर ननदोई जी चुपचाप खड़े थे।

मॉम ने मुझे कहाअरी छीनाल साली हल्दी की रात तो रुक जाती। अच्छा मर्द दिखा नहीं कि शुरू हो गई।
मैंने कहाअरे मॉम, ननदोई जी हैं ही इतने हॉटतो क्या करती मैं?
मॉम ने ननदोई जी से कहारमेश जी आप डरिए मतअरे हम मां बेटी एक दूसरे के बारे में सब जानती हैं।

ननदोई जी भौचक्के रह गए थे।
वे कुछ नहीं बोल पाए।

मैंने उन्हे कहाआप चिंता मत करिए ननदोई जी। मेरी मॉम भी एक नंबर की रण्डी है। ये बहुत लंबी कहानी है मैं आपको कभी फुरसत में सुनाऊंगी।
मॉम बाथरूम चली गई।

मैं रमेश जी के पास गई तो उन्होंने कहाअब दूसरा राउंड कब करें? ये तो बहुत जल्दबाजी में हुआ ना?
मैं बोलीआप जाइएमैं आपको कॉल करूंगी थोड़ी देर में!

मैंने उनका नंबर लिया और कहाजाइए, नहीं तो हेतल (मेरी ननद) आपको ढूंढती फिरेगी।

ननदोई जी चले गए।

मैं नहाने गई।

नहाने के बाद मॉम ने मुझे पूछा तो मैंने उन्हें सब कुछ बताया।
मैंने मॉम को कहाहमें एक और बार चुदाई करनी है।

तो मॉम ने कहायहीं कर लेना। मैं बेड के पास एक पर्दा लगा दूंगी और मैं सोफे पे सो जाऊंगी। तुम दोनों जो करना है, कर लेना!

मुझे यह आइडिया अच्छा लगा क्योंकि हमें कहीं बाहर जाना ना पड़ना था।

मैंने एक बड़ा लंबा टी शर्ट पहना और नीचे एक पैंटी।
खुला खुला बहुत अच्छा महसूस हो रहा था।

दिनभर वो भारी साड़ी पहन के मैं बोर हो चुकी थी।

थोड़ी ही देर में मैंने ननदोई जी को कॉल किया और उन्हें हमारे कमरे में बुलाया।
ननदोई जी थोड़ी ही देर में एक दारु की बोतल लेकर आए।

अब वो जान चुके थे की हम मां बेटी किस हद की छीनाल किस्म की औरतें हैं।
हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

उन्होने आते ही मॉम और मुझे शराब का पूछा।
तो हम हंसने लगी।

वे बोल पड़ेमुझे पता था तुम दोनों मां बेटी बहुत पहुंची हुई चीजें हो!

अब हम तीनों ने महफिल जमाते हुए शराब पीना शुरू किया।
मॉम पेग बना रही थी और हम तीनों पेग पे पेग मारने में लग गए।

तीन तीन पेग लगाने के बाद मॉम ने एक डोरी से बेड के आगे एक परदा डाल दिया।

अब हम सब पर शराब का सुरूर चढ़ा।
मैं अब उठके बेड पे लेट गई।

मेरे पीछे पीछे ननदोई जी भी गए और आते ही मुझपर टूट पड़े।

मेरी शर्ट के ऊपर से ही मेरे दूध दबाते हुए मेरे चेहरे पर अपनी जीभ फेरने लगे।
उनका यह अंदाज मुझे मदहोशी के सागर में गोते लगाने जैसे लगा।

अब उन्होंने अपनी जीभ से मेरी नाक चाटने लगे।
मैंने जल्द अपनी शर्ट उतारी और अपनी पैंटी भीअब मैं उनके सामने मादरजात नंगी हुई।

साथ ही मैंने उनका शर्ट और शॉर्ट निकाल दिया।
अब वो केवल एक अंडरवियर में गए।

मैंने उनको नीचे लिटाया और उनके होंठ चूमने लगी।
अपनी जीभ को बिलकुल उनके मुंह में अंदर तक घुसा कर मैं उनकी लार को चाटने लग गई।

मैं अपने आपे से बाहर होने लगी थी।
शराब और ननदोई जी के मादक बदन ने मुझे दीवाना बना दिया।

अब नीचे आकर मैंने रमेश जी का लन्ड पकड़ में ले लिया और उसे मुंह में भर लिया।
मेरा हाथ लगते ही उनका सांड जैसा लौड़ा खड़ा होने लगा।

मैंने चमड़ी को पीछे सरका के उनका सुपारा बाहर निकाला।
सुपारा देखते ही मैंने उसे गपक लिया।

मैं जोर जोर से लन्ड को चूसने लगी।

उनके टट्टों को एक हाथ से खेलते हुए मैं उनके लन्ड पर मुंह से लार टपकाते हुए मुख मैथुन का सुख उन्हें देने लगी।

अब मैं लौड़े को छोड़ उनकी गोटियों को चाटने लगी।
ननदोई जी मंद सिसकारियां भरने लगेवाह अंजुअम्ह्ह्हयेस्स स्स्सकितना अच्छा चाटती है साली रांडमेरी गांड चाट छीनाल!

मैंने भी झट से अपना मुंह उनकी गांड में घुसा दिया और जीभ निकाल के छेद में डाल दी।
उनकी गांड की बदबू भी मुझे बेकाबू कर रही थी।

मैं ननदोई जी के गांड को चाट चाट कर उसका रस पीने लगी।
मेरी चूत तो कामरस से लबालब हो गई।

मैं ज्यादा देर तक अपने आप को रोक सकी और जाकर उनके लन्ड पर बैठ गई, लन्ड को पकड़ कर मैंने अपनी चूत में घुसा लिया।

लन्ड और चूत गीले होने की वजह से लन्ड सरसराते हुए मेरी चूत में समा गया।
मैं ननदोई जी के लन्ड पर उछलकूद करते हुए चुदने में लग गई।

अब वो भी नीचे से मुझे जोर जोर से चोदने लगे।
हर धक्के पर मेरे मम्मे हवा में उछलने लगे।

जैसे ही मैं ऊपर नीचे होती, उनका लन्ड मेरी चूत की जड़ तक इतना घुसता कि उनके टट्टे मेरी जांघ से रगड़ते।

अब वे दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों पर चमाट मारने लगे।
मैं अब आगे झुककर उनके छाती से लिपट गई और उनके होटों को चूमने चाटने लगी।

मैं अपनी चूत चुदवाने में सराबोर हो चुकी थी।

ननदोई जी बिना रुके मेरी चूत में अपने हथियार से ठोकर मारते गए।
मैं जोर जोर से चिल्लाना चाहती थी मगर हम जहां पर ये नंगा खेल खेल रहे थे, उस वक्त सिर्फ आहें ही भर सकती थी।

जब ननदोई जी झड़ने वाले थे तो उन्होंने मुझे ऊपर से हटाया बोलेअंजु, मेरा अमृत मुंह में लेगी?
मैंने जवाब देते हुए सीधा बेड पर ही घुटनों के बल बैठ गई।

खड़े होकर रमेश जी ने लन्ड मेरे मुंह में भर दिया।

अब मेरे बालों को पकड़ कर जोर देकर लन्ड को मेरे मुंह में आगे पीछे करने लगे।
उनका लंबा लन्ड मेरे गले तक जा रहा था।

दो चार झटके देने के साथ ही वो मेरे मुंह में झड़ गए।

झड़ने के बाद वो सीधा बेड पर लेट गए।
मैं उनके छाती पर सर रखकर लेटी।

हल्दी की रात नन्दोई के लंड के साथ

Maa Beta Sex Story

उनके छाती के बालों से रही सुगंध मुझे बहका रही थी।

मैं बालों पर हाथ फेरने लगी।
रमेश जी ने मुझसे कहालगता है अंजु बेबी की प्यास अभी भी मिटी नहीं है?
मैंने जवाब दियाआप के तगड़े लन्ड को देख कर मेरी तो प्यास बढ़ती ही जा रही है।

ननदोई जी मुझे छेड़ने में लग गए।
अब उन्होंने मुझसे कहाआज के लिए इतना ही ठीक है, तेरी ननद मुझे खोज रही होगी। अब मुझे जाना चाहिए। अगली बार फुरसत में मिलेंगे और जी भर के करेंगे। तेरी पूरी प्यास मिटाऊंगा मेरी जान!

उन्होंने उठ कर कपड़े पहने और मेरी गांड पर एक चमाट लगाकर चले गए।
पोर्न जीजा फक के बाद मैं वैसे ही नंगी बेड पे पड़ी रही थी।

उनके जाते ही मॉम मेरे पास गई।
मॉम सीधा मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे साथ मस्ती करने लगी।

इसके बाद हम दोनों सो गई।

तो मेरे प्रिय दोस्तो, कैसे लगी मेरी हल्दी की रात की जीजा पोर्न फक कहानी?
आप मुझे जरूर बतायें।

मेरी सेक्स एक्सप्रेस आगे भी जारी रहेगी।

जल्द ही मिलते हैं किसी और गर्म किस्से के साथ!
तब तक के लिए नमस्ते।

By tharki

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