कामवाली की मस्त जवान चूत की चुदाई-Kamvali ki Chudai
- By : Tharki
- Category : Kamvali ki Chudai
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम प्रवीन शर्मा है मैं आपके लिए एक बहुत ही सेक्सी कहानी लेकर आया हूँ हालाँकि मैंने अपने जीवन मैं कई लड़कियों को चोदा है लेकिन कुछ लड़कियां मुझे आज भी याद हैं।
दोस्तों मेरी यह सेक्स कहानी मेरी कामवाली और मेरे बीच हुई चुदाई की है बात उन दिनों की है जब मैं अकेला रहता था काम से देर से आता था और सुबह जल्दी चला जाता था तो घर की साफ़ सफाई कपड़े धोना यह सब केवल संडे को ही हो पाता था।
हफ्ते में एक छुट्टी वो भी इन कामों में निकल जाती थी कहीं घूमने या कुछ और करने का टाइम ही नहीं मिलता था फिर मैंने सोचा क्यों न कोई कामवाली रख ली जाए पर अकेले आदमी के पास कौन लड़की या औरत काम करेगी।
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खैर मैंने अपने एक जानने वाले को बोला कि कोई काम वाली हो तो बताना एक हफ्ते बाद संडे को एक 22-23 साल की औरत दरवाजे पर आयी उस वक्त मैं दूध लेकर आया ही था।
उसने बताया कि बाबूजी मुझे आपके दोस्त ने भेजा है उन्होंने बोला है कि आपको कोई काम वाली चाहिए वो शक्ल से तो साधारण ही थी मगर जिस्म से बहुत जानदार चीज थी।
मस्त मोटे मोटे 36 साइज के बोबे, पीले रंग के ब्लाउज से आधे बाहर झांक रहे थे मेरी नजर उन्हीं पर चिपक गयी मेरे मन में सोया शैतान जाग गया जी में आया कि अभी पकड़ कर इसका ब्लाउज फाड़ दूँ और इसके मम्मों का रस पी लूँ।
मेरी वहशी नजरों को शायद वो पढ़ चुकी थी उसने झट से अपना साड़ी का पल्लू ठीक किया और बोली- क्या हुआ बाबूजी मैं जैसे सोते से जागा उसे अन्दर बुलाया काम की बातचीत की और पैसों की बात तय करके मैंने उसे काम पे रख लिया।
उसने बोला- मैं आज से ही काम पे लग जाती हूँ मैंने उसे चाय बनाने को बोला और अपने रूम में चला गया मेरी आंखों के आगे उसके बड़े बड़े बोबे घूम रहे थे अपने सपनों में खोया हुआ उसी के बारे में सोच रहा था।
मेरा 6 इंच का लंड भी उसके बारे में सोच सोच कर खड़ा हो गया था तभी वो चाय का कप लेकर आ गई मैंने उससे पूछा- तुमने अपने लिए नहीं बनाई वो बोली- बनाई है बाबू जी बाहर रखी है मैं वहीं पी लूँगी मैंने कहा- यहीं ले आओ साथ में पीते हैं।
यह बोलते वक्त मेरी नजर उसके बोबों की तरफ ही थी वो नजर नीची किए मुस्कुराई और बाहर चली गयी शायद उसने मेरे पजामे में बना तम्बू देख लिया था वो अपना कप लेकर रूम में ही आ गयी और फर्श पर ही बैठ गयी।
मैंने उसके बारे में पूछा- घर में कौन कौन है उसने बताया कि उसकी शादी को पांच साल हो गए हैं और पति मजदूरी करता है पर उसकी कोई औलाद नहीं है साथ ही उसने ये भी बताया कि उसका पति जो कमाता है शराब में उड़ा देता है घर चलाने के लिए उसे ये काम करना पड़ता है।
मुझे उसकी कहानी सुन कर अफसोस भी हुआ और उसके पति पर गुस्सा भी आया खैर मैं कर भी क्या सकता था चाय पीकर वो काम में लग गई और मैं नहाने चला गया जब मैं नहा कर निकला और रूम में आया तभी वो अन्दर आ गयी।
वो बोली- खाना क्या बनाऊं बाबूजी उस वक्त मैं केवल फ्रेंची पहने खड़ा था मुझे इस हालात में देख कर वो थोड़ी हड़बड़ा गयी शायद उसे इसकी उम्मीद नहीं थी वो वापस जाने को मुड़ी तब तक मैंने तौलिया कमर से लपेट लिया और उसे खाना क्या बनाना है बता दिया।
उस दिन तो कुछ नहीं हुआ उस दिन क्या कई हफ्ते तक कुछ नहीं हुआ मैं सन्डे को ही घर होता था बाकी दिन वो दूसरी चाबी (जो मैंने उसे दी थी) से घर का ताला खोलती और काम करके चली जाती।
एक दिन जब सन्डे को मैं घर पर ही था वो आयी और बोली कि साहब काम तो सारा हो गया है मैं जाऊं मैंने बोला- ठीक है जाओ पर वो वहीं खड़ी रही जब वो कुछ देर यूं ही खड़ी रही तो मैंने पूछा- क्या बात है जाना नहीं है क्या।
वो बोली- साहब कुछ पैसों की जरूरत है पिछले हफ्ते आपने जो तनख्वाह दी थी वो तो सब खर्च हो गयी बची हुई की वो दारू पी गया मैंने कहा- बोलो कितने पैसे चाहिए उसने 1000 रुपए की माँग की।
मैंने उसे एक हजार रुपये दे दिए और कहा- जब भी जरूरत हो मांग लिया करो मैं तुम्हारे काम आऊंगा तब ही तो तुम भी मेरे काम आओगी मेरी इस दो-अर्थी बात को सुन कर वो हंसी और आंख फैला कर बोली- मुझसे आपको क्या काम पड़ेगा भला।
मैं समझ गया कि ये काम आ जाएगी मैंने उससे कहा- जाते जाते एक कप चाय तो पिलाती जा वो बोली- ठीक है बाबू चाय क्या बोलो तो दूध पिला दूं मैंने थोड़ा हिम्मत करके बोल दिया- पिलाना है तो अपना पिलाओ तो कुछ बात बने।
इसके जवाब में वो कुछ नहीं बोली और चाय बनाने लगी जब हम दोनों चाय पी रहे थे तो उसने पूछा- बाबू आपको कैसी औरत पसंद है मैंने कहा- जैसी भी हो मगर जिस्म तुम्हारे जैसा हो तो मजा आ जाए वो बोली- मेरे जिस्म में ऐसा क्या है बाबू जी।
मैंने कहा- कभी अपने आप को आईने में देखना तब पता चलेगा तेरा पति बहुत किस्मत वाला है जो तेरे इस जिस्म को भोगता है मेरी इस बात पे वो कुछ उदास सी हो गयी और बोली- मेरी किस्मत खराब है बाबू जी।
वो तो शराब में ही डूबा रहता है मुझे देखने का टाइम ही कहां है उसके पास उससे बात करते करते दोपहर के दो बज गए जून का महीना था मैंने उससे कहा यहीं रुक जा बाहर गर्मी है इतनी गर्मी में कहां जाएगी।
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उसने एक पल को सोचा और बोली- ठीक है गर्मी सच में बहुत है मैं घर जाकर पहले नहाने वाली थी पर क्या मैं आपके बाथरूम में नहा सकती हूँ मैंने कहा- हां ठीक है नहा ले।
वो बाथरूम में नहाने चली गई वो नहा कर बाहर सोफे पर जाकर लेट गयी थोड़ी देर बाद मुझे याद आया कि आज इंडिया का क्रिकेट मैच है ये याद आते ही मैं ड्राइंग रूम में आ गया।
उस वक्त वो सोफे पर लेटी थी नींद में उसकी साड़ी का पल्लू सीने से हट गया था मैं उसके चूचे देखता हुआ उसके सर की तरफ पड़ी सोफे की कुर्सी पर बैठ गया मैं टीवी की जगह उसकी चुचियों का मस्त नजारा देखने लगा।
उस दिन मैंने उसकी चुचियों को सही ढंग से देखा था बड़े गले के ब्लाउज से बाहर निकली हुई चुचियां बहुत मस्त दिख रही थीं काफी कामुक नजारा था उसका पतला सपाट पेट उसे और भी कामुक बना रहा था।
मुझे खुद पर काबू न रहा मैं अपना लंड सहलाता हुआ उसके बदन को देखता रहा मुझे नहीं पता कब मैं नंगा होकर उसके करीब जा पहुँचा और उसकी चुची को सहलाने लगा।
पहले मैंने थोड़ा आराम से सहलाया फिर उसकी चुचियों के बीच की घाटी में उंगली डाल दी उसकी तरफ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई थी शायद वो जाग रही थी और उसे भी इसकी जरूरत थी।
फिर मैंने धीरे से उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए उसके दोनों चुचे आजादी के साथ फड़क उठे और साथ ही मेरे दिए हुए हजार रुपए भी नीचे गिर गए पर वो बिना हिले पड़ी रही कोई इतनी गहरी नींद में कैसे सो सकता है वो भी बिना किसी नशे के।
अब मेरी हिम्मत और बढ़ी मैंने उसके दोनों चुचों को दोनों हाथों की हथेलियों से पकड़ के दबोच लिया और थोड़ी सख्ती से से दबाने लगा अब उसकी सांसें थोड़ी गर्म और तेज होने लगीं।
मैं समझ गया कि लाइन साफ़ है मैंने उसकी एक चुची छोड़ कर उसे पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा मेरे होंठों में उसका चूचुक आते ही उसकी सिसकारी निकल गयी और उसके दोनों हाथ मेरे सर और पीठ पर आ गए।
आखिर उसके सब्र का बांध टूट ही गया वो तेज तेज सिसकारियां लेने लगी मैं नीचे बैठा था और वो सोफे पर लेटी थी इस वजह से मेरे दोनों हाथों में अब दो अलग अलग जगह आ रही थीं मैं एक हाथ से उसकी चुची दबा रहा था दूसरे हाथ से उसकी जांघ को सहला रहा था।
मेरे लगातार चुची चूसने और दबाने से उसके जिस्म की गर्मी बढ़ती जा रही थी वो भी अपने हाथ को इधर उधर घुमा कर कुछ ढूंढ रही थी तभी मैं उठ कर खड़ा हो गया मेरा सात इंच का लंड पूरा तन कर टाइट हो चुका था उसकी नजर जब उस पर पड़ी तो वहीं चिपक गई वो एकटक मेरा लंड देखे जा रही थी।
मैंने अपना लंड उसके आगे किया तो उसने झट से पकड़ लिया और मुँह आगे करके चूसने के लिए लपकी तभी मैंने अपना लंड पीछे कर लिया जिससे लंड उसके हाथ से निकल गया और वो खड़ी हो गयी।
मैंने उसे नंगी किया और अपने सामने घुटनों के बल बैठा कर अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया जिसे वो मजे ले लेकर चूसने लगी कभी जड़ तक अन्दर लेती कभी सुपारे के चारों तरफ जीभ फिराती जीभ की नोक से मेरे लंड के छेद को सहलाती और गप से पूरा लंड मुँह में ले लेती।
मेरा लंड उसके गले तक जा रहा था जिसे वो रंडी की तरह मजे लेकर चूस रही थी कोई 10 मिनट लंड चूसने के बाद भी मेरा पानी नहीं गिरा तो वो हैरान होकर मेरा मुँह देखने लगी वो बोली- बाबू बहुत जानदार लौड़ा है तुम्हारा।
मैंने उसे पकड़ कर उठाया और सोफे पर बैठा कर उसकी टांगें उठा कर अपना मुँह उसकी चुत पर रख दिया और जीभ से उसकी चुत को चूसना शुरू कर दिया उसकी चुत के दाने को चूस चूस के लाल कर दिया और जीभ चुत के अन्दर बाहर करने लगा।
तभी वो जोर से काँपी और ठंडी पड़ गयी उसे झड़ने में मात्र 3 मिनट लगे होंगे वो ढीली होकर लम्बी लम्बी सांस लेने लगी तभी मैंने अपना लंड उसकी चुत पर रखा और जोर से पेला एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर तो चला गया पर ऐसा लगा कि जैसे किसी शिकंजे में जा फंसा हो।
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उसकी भी चीख निकल गयी उम्म्ह अहह हय याह मैंने पूछा- दर्द क्यों तो वो बोली- बाबू साल भर बाद चुद रही हूँ पति तो छूता भी नहीं है मैंने बोला- पर चुत चिकनी रखती हो ऐसा क्यों वो- नहीं बाबू आज ही साफ़ की है जब आपने बोला कि यहीं रुक जा मैं तब ही समझ गयी थी कि आज आप मेरी चुदाई करोगे।
मैं- मतलब तुम सो नहीं रही थीं इसके जवाब मैं वो आंख मार कर हंसी और मैंने जोरदार धक्कों के साथ चुदाई का खेल शुरू कर दिया उस दिन शाम को 5 बजे तक मैंने उसे 4 बार चोदा अब तो सन्डे का पूरा दिन वो नंगी रहती है और घर का काम करती रहती है. कई बार तो उसे रोटी बनाते हुए उसको पीछे से चोद देता हूँ।
उसकी एक ननद भी है, जो कमसिन और हॉट है उसी ने मुझे उसके बारे में बताया था एक दिन वो उसको लेकर मेरे पास आई अगली कहानी मैंने उसकी कमसिन ननद की जवानी पर किस तरह हाथ साफ किया यह लिखूंगा तब तक के लिए विदा लेता हूँ।
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