राजस्थान में मिली आंटी की चूत सुजा दी-Aunty Ki Chudai
- By : Tharki
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देसी आंटी कहानी में पढ़ें कि मैं घूमने निकला तो अनायास ही एक आंटी से मेरी मुलाक़ात हो गयी वे बहुत सैक्सी थी वे मुझे अपने घर ले गयी वहां क्या और कैसे हुआ दोस्तो मैं करन।
अब मैं सीधा अपनी उस देसी आंटी कहानी की बात करता हूँ जो अभी हाल ही में घटित हुयी जब अपना देश कोरोना की दूसरी लहर से लड़ रहा था और मैं एक आंटी की चूत की प्यास को बुझा कर और उनकी चूत को सुजा कर और बड़ी कर रहा था।
हुआ यह कि मैं ऑफिस की छुट्टी के चलते एक महीने के लिए अपनी कार लेकर गुड़गांव से बाहर निकल गया मैं कोरोना टेस्ट रिपोर्ट साथ लेकर राजस्थान प्रान्त में घुस गया वहां एक जगह है जिसका नाम है फतेहपुर यह जगह हवेलियों के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है।
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मैं वहां रात को लगभग एक बजे पहुंच गया था कोरोना के चलते मुझे होटल मिल नहीं रहा था फिर मैं थक हार कर वहीं शहर में एक घर के बगल में कार में एसी चला कर सो गया।
सुबह उठा तो एक 40 साल की औरत मेरी कार की खिड़की बजा कर मुझे जगा रही थी मैंने कार से बाहर निकल कर उनसे बात की और उन्हें अपनी समस्या से अवगत करवाया वो कुछ सोच कर बोलीं- अगर ऐसी बात है तो आप दो दिन के लिए मेरे यहां ठहर जाओ।
मेरे घर में एक कमरा खाली है दो दिन बाद मेरे बेटे बहू आ जाएंगे वो बंगलोर में रहते हैं इस तरह से मुझे रुकने के लिए एक ठिकाना मिल गया था वैसे भी मुझे वहां एक दिन रुक आगे चला जाना था मुझे जोधपुर जाना था।
उनका घर ज्यादा ही बड़ा था उसमें सात या आठ कमरे थे और बीच में जाल लगा आंगन था राजस्थान में आंगन में जाल लगाने का रिवाज़ सा होता है अब मैं अन्दर आया और उनसे बात करने लगा मैं उन्हें आंटी बोलकर बात कर रहा था।
वो मुझे घर दिखाने लगीं जबकि मैं उनकी इमारत को देख रहा था वे पाँच फुट आठ इंच की लम्बाई वाली गदराई हुई माल थीं उनकी गांड एकदम बड़ी और निकली हुई थी पेट एकदम सपाट और अन्दर को दबा हुआ था जबकि चूचियां पूरी अड़तीस इंच की साइज की थीं।
मेरी मादरचोद निगाहों ने ये जान लिया था कि उस समय आंटी ब्लाउज में बिना ब्रा के थीं और उनकी भरी हुई चूचियां बड़ी मुश्किल से ब्लाउज के काबू में आ पा रही थीं कुल मिलाकर साड़ी में आंटी क़ातिल जवानी वाला माल लग रही थीं।
मुझे उन्होंने ऊपर की मंजिल में एक कमरा दे दिया और बोलीं- फ्रेश हो जाओ मैं नाश्ता बना देती हूँ इतना कह कर वो नीचे चली गईं और मैं उन्हें ताड़ने लगा आंगन में वो काम करती दिखाई दे रही थीं और ऊपर से जाल में से मैं उनकी चूचियों की घाटी देख कर लंड मसल रहा था।
उसी दौरान उन्होंने एक बार ऊपर देख लिया था और मुझे पता भी नहीं चला था फिर मैं नहाने लगा और आंटी के नाम की मुठ मारने लगा सच में लंड से पानी टपका कर मुझे बहुत शांति मिली मैं बाथरूम से नंगा ही अपने कमरे में आया और दरवाजे को लॉक करके तौलिया से बदन पौंछने लगा।
उसी समय मुझे उनसे हुई बातचीत में याद आया कि आंटी ने अपना नाम दीप्ती बताया था बड़ा मस्त सा नाम था मगर राजस्थान की संस्कृति में दीप्ती नाम कम ही सुनने को मिलता है तभी मैंने उनसे ये बात कही थी तो उन्होंने बताया था कि वो गुजरात से हैं और फतेहपुर में उनका ससुराल था।
अभी मैं ये सब सोच ही रहा था कि दरवाजा बजाने लगीं मैं दरवाजा खोला तो वो कुछ नाश्ता बना कर मेरे लिए ले आयी थीं मैं उस समय टॉवल में ही था तो आंटी चौंक गईं और बोलीं- अरे कपड़े तो पहन कर दरवाजा खोलते।
मैंने उनसे मांफी मांगी और फिर वो नाश्ता रख कर और वापस मुड़ कर मुझे देखने लगीं हल्की सी मुस्कान देकर आंटी बोलीं- कोई बात नहीं अब पहन लो कपड़े दिन में मेरी सहेलियां भी आ जाती हैं उनके मुँह से सहेलियों की बात सुनकर मैंने उनसे उनके पति के बारे में पूछा।
वो बोलीं- नाश्ता करके नीचे आओ मिलवाती हूँ वो चली गईं और मैं नाश्ता करने लगा मैंने नाश्ता किया और बर्तन लेकर नीचे आ गया मैंने उनको आवाज़ दी- आंटी वे शायद बाथरूम में नहा रही थीं तो वहीं से आवाज़ दी- बैठो मैं नहा रही हूँ अभी आती हूँ।
उनकी सुरीली आवाज़ सुनकर मुझसे रुका नहीं गया और मैं बाथरूम के पास चला गया वहां जाकर मैंने महसूस किया कि आंटी शायद अपनी चूत के साथ खेल रही थीं वो बार बार बोल रही थीं- अभी तेरे लिए मेरी उंगली बहुत है अब लंड कहां से लाऊँ।
उनकी ये मादक आवाज सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया मैं वापस वहां से आकर सोफे पर बैठ गया और लंड को बिठाने की कोशिश करने लगा अचानक आंटी बाहर आईं और मैं सकपका कर खड़ा हो गया।
उन्होंने मेरा खड़ा लंड देख लिया और थोड़ा हल्के से मुस्कुरा कर बोलीं- करन बैठ जाओ मैं अन्दर से अभी आती हूँ वो अन्दर कमरे में चली गईं और मैं उनके गीले शरीर पर लिपटी साड़ी में उनके शरीर को पीछे से मटकती गांड को देख रहा था।
दोस्तो औरत ये जरूर भांप लेती है कि कौन क्या देख रहा है उन्होंने पलट कर देखा और फिर मुस्कुरा कर कमरे में घुस गईं मैं लंड मसलने में फिर से व्यस्त हो गया वो कब वापस आईं मुझे पता नहीं चला वो आकर अचानक से बोलीं- क्या करन तुम ऐसे ही बैठे रहते हो अपनी जीन्स को देखते हुए।
मैं शर्मा गया तो बोलीं- चलो चाय पी लो अब मैंने अंकल के बारे में पूछा तो बोलीं- वे आज सुबह ही अपने बड़े भाई के घर गए हैं शाम तक आ जाएंगे फिर वो मेरे बारे में और गुडगांव दिल्ली की बात करने लगीं आंटी बोलीं- मेरी जैसी औरतें दिल्ली में जीन्स पहन कर घूमती हैं।
मुझे देख कर अच्छा लगता है पर ये राजस्थान है तो मुझे बंधन में रहना पड़ता है ऐसे ही बात होती रही और दोपहर हो गयी फिर वो खाना बनाने के लिए बोलीं और मैं वापस कमरे में आकर कपड़े उतारने लगा गर्मी की वजह से खाली कच्छे और बनियान में लेट गया।
लेटे हुए ही मुझे आंटी की गांड याद आ गयी और मेरा लंड फिर से हिचकोले लेने में लग गया फिर आंटी ऊपर आईं कमरा खुला था तो सीधे अन्दर आ गईं मेरा खड़ा लंड देख कर वो मुड़ गईं और बाहर जाती हुई बोलीं- कपड़े डालो और नीचे आओ खाना खाने।
मैं भी शर्मा गया और कपड़े डाल कर नीचे पहुंच गया नीचे गया तो आंटी ने सीधे पूछा- ऐसा क्या सोच रहे थे जो कपड़े उतार दिए थे मैं भी अचानक से बोल पड़ा- आपके बारे में ही सोच रहा था आंटी हंस कर बोलीं- क्या तुम पागल हो गए हो।
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मैंने फिर सोचा कि यार ये क्या बोल दिया मैंने फिर मैं हाथ धोने उनके बाथरूम में गया वहां आंटी के ब्लाउज और पेटीकोट को टंगा देखा तो फिर से दिमाग ख़राब हो गया तभी आंटी ने आवाज़ दी तो जल्दी से भाग कर बाहर आ गया और खाने बैठ गया।
आंटी ने भी अपनी थाली मेरे साथ ही लगा ली और पास पड़ी खाट पर बैठ कर खाने लगीं उनका पल्लू पेट से लगा था और मेरा दिमाग उनकी बड़ी चूचियों में अटका हुआ था उन्होंने देख कर पूछ लिया- क्या हुआ मैं बोला- कुछ नहीं।
फिर शहर की औरत की बात उनसे करने लगा कि वो लोग तो जिम जाती हैं और आप तो बिना जिम जाए उनसे बेहतरीन दिख रही हैं अपनी तारीफ़ पर वो मुस्कुरा कर धन्यवाद कहती हुई बोलीं- क्या क्या करती हैं दिल्ली की औरत मुझे और बताओ।
अब हम लोग खाना खा चुके थे मैं वहीं उनके साथ बैठ कर इंस्टाग्राम में दिल्ली औरत के फोटो दिखा कर बोला- देखो आंटी इसको वो शर्मा कर हाय राम बोलीं और कहने लगीं- ऐसे भी कपड़े पहन लेती हैं इस उम्र में दोस्तो वो फोटो एक औरत का था जिसमें वो शॉर्ट्स डाले ब्रा के साथ अपने बेड पर बैठी थी।
मैंने फिर से आंटी को छेड़ा- आप कौन सा कम हो आपमें इससे ज्यादा दम है इस बार वो तपाक से बोलीं- ऐसी नंगी थोड़ी हूँ मैं बोला- आंटी नंगी नहीं होना है यार ये भी कपड़े पहनी है आप भी ऐसे कपड़े पहन सकती हो इसमें क्या वो बोलीं- नहीं यहां फतेहपुर में तो सब नज़रों से ही खा जाएंगे।
मैंने उनको उकसाया और बोला- आप चाहें तो अभी पहन सकती हैं अकेले में ऐसे अपने पेटीकोट को शॉर्ट्स बना लो और ब्लाउज को उतार दीजिए बस बन गयी शहर की जैसी औरत मैं ये बोलकर ऊपर अपने कमरे में आ गया आंटी को आग लग चुकी थी।
उन्होंने मुझे आवाज़ दी और वापस से नीचे बुलाया मैं उनके करीब आया तो वो बोलीं- पेटीकोट कैसे वैसा हो जाएगा तो मैं बोला- मैं सैट कर दूँ पेटीकोट वो बोलीं- तुमसे कैसे करवाऊँ मैं बोला- आप सब मुझ पर छोड़ दो मैं सब कर दूंगा वो हँसती हुई बोलीं- नालायक।
फिर रुक कर कहा- करो कैसे करोगे इससे पहले आंटी का इरादा बदल जाता मैं उनकी साड़ी को पकड़ कर बोला- पहले आप इसको उतार दो उन्होंने कुछ नहीं सोचा और साड़ी उतार कर बोलीं- हां उतर गयी लो और तू मेरे बेटे की उम्र का है समझा चल बना इसका शॉर्ट्स मैं भी तो देखूँ कि दिल्ली की औरत बनके कैसी लगूँगी।
मैंने नीचे से पेटीकोट पकड़ा और एक बार को ऊपर कर दिया पीछे से आंटी की गांड दिख गयी तो पता लगा आंटी ने पैंटी नहीं डाली थी मुझे भी गोरी गांड देख कर करंट सा लगा और लंड खड़ा हो गया आंटी चुप रह कर सब समझ रही थीं पर बोलीं कुछ नहीं।
मैंने पेटीकोट को ऊपर लपेटा और उनकी गोरी जांघ को छूता हुआ जांघ को बार बार दबा के मजे लेता हुआ पेटीकोट को शॉर्ट्स की तरह स्कर्ट बना कर लपेट दिया जिसमें पीछे से उनके जरा से चूतड़ और आगे से बस चूत ढकी थी ये सब करके मेरा लंड खड़ा हो गया था।
आंटी वासना भरी आवाज में बोलीं- ब्लाउज भी उतारूँ क्या मैंने कहा- उसके बिना तो काम अधूरा है उन्होंने न देर करते हुए ब्लाउज उतार दिया और वो काले रंग की ब्रा में अपनी गोरी चूचियां के दर्शन मुझे करवा रही थीं मेरे तो लंड का हाल बुरा था और मेरी जीन्स से बाहर आना चाहता था।
आंटी देख कर बोलीं- मुझे शहर की औरत जैसी देख कर तुम्हारा हाल तो बुरा हो जाता है करन मैंने भी कह दिया- आंटी आप अभी दिल्ली में होतीं तो मैं आपको अपनी प्रेमिका बना लेता वे जोर से हंस कर बोलीं- अब तो मैं दिल्ली की औरत जैसी बन गई हूँ देख लो फिर अगर साड़ी पहन ली तो मौका नहीं मिलेगा।
मैंने कुछ नहीं सोचा और आंटी के पास जाकर सीधा उनकी ब्रा से एक चूची बाहर निकाल कर मुँह में लेकर चूसने लगा आंटी मानो मेरी इसी हरकत का इंतजार कर रही थीं वे एकदम से सी सी आह आह करने लगीं और बोलीं- मैंने तुम्हें लंड हिलाते देखा था।
आज तक पति के अलावा किसी से नहीं चुदी पर मैं चार साल से प्यासी थी सो सब भूल गयी थी पति की भी उम्र हो गयी है आज तुम्हारा लंड देख कर अपने आपको रोक ही नहीं पायी मैंने भी बिना ब्रा उतारे उनकी दोनों चूचियां बाहर निकाल लीं और बारी बारी से दोनों दूध चूसने लगा।
आंटी बड़ी जोर से मेरा सर पकड़ कर अपने सीने में मुझे घुसा रही थीं शायद आंटी को चुदाई की जल्दी मची थी तो उन्होंने खुद से अपनी ब्रा खोल दी मैं पेट पर अपना थूक लगा लगा कर उनको चाटते हुए नीचे आने लगा उनके शॉर्ट्स बने पेटीकोट को हल्का सा उठा कर मैंने उनकी चूत को चूमा।
यह देख कर वो हटने लगीं और बोलीं- आह इसको कौन चूमता है मैंने कहा- अब आप दिल्ली की औरत हो और मैं दिल्ली का लड़का अब देखो क्या क्या होता है यह कह कर मैं आंटी की जांघ पर अपनी जीभ फिराने लगा और चूत में उंगली कर रहा था आंटी कसमसाती हुई बोलीं- अपने कपड़े तो उतार लो।
एक पल में मैंने अपने सब कपड़े उतार दिए और आंटी का पेटीकोट भी उतार कर नीचे आंगन में फेंक दिया मैं और आंटी बिल्कुल नंगे ही फर्श पर लेट गए गर्मी बहुत थी तो दोनों को पसीना भी बहुत आने लगा मैंने आंटी को लिटा दिया और उनकी जीभ को अपनी जीभ से लपेट कर कुछ मिनट तक चूसता ही रहा।
फिर नीचे आकर चूत पर देखा, तो आंटी की चूत पूरी गीली होकर पानी छोड़ रही थी मैंने आंटी की गीली चूत में अपनी जीभ घुसा दी आंटी की चूत से पानी बाहर टपकने लगा और मैं उस अमृत को पीने लगा वे कराहती हुई बोलीं- चोद करन मुझे आज पता चला है कि दिल्ली में मर्द औरत का भोसड़ा भी चूसते हैं आह करन मुझे चोद दे।
मैंने कहा- मेरी रंडी मेरा लंड चूसेगी आंटी बोलीं- मैंने अपनी बहू को एक बार चूसते हुए देखा था आज वो सब मैं करना चाहती हूँ करन गन्दी गन्दी गाली दे मुझे चूत का भोसड़ा बना दे जो तू कहे वो मैं सब करूँगी आज के लिए ये दिल्ली की औरत तेरी रखैल है।
मैं भी शिद्दत से उनकी चूत चाट कर चूत का पानी पीने लगा और वो अपने पैर खोल मेरे सर को चूत में दबा रही थीं एक हाथ से वो मेरे लंड को खोजती हुयी घूम गईं और लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाती हुई बोलीं- ये अब मेरा है हम दोनों अब एक दूसरे के लंड चूत मुँह में डाल कर चूसने में लगे थे।
कब एक दूसरे के मुँह में खाली हुए ये पता तब चला जब हम तेज़ तेज साँसें ले रहे थे आंटी बोलीं- इसका स्वाद खट्टा अजीब सा है ये आज पता लगा नहीं तो मन की चाह मन में ही रह जाती फिर हम दोनों नंगे ही खड़े हुए और आंटी बोलीं- बाथरूम में चलो करन देखो गर्मी से दोनों पसीने से भीग गए हैं।
हम दोनों अन्दर साथ नंगे ही गए और नहाने लगे आंटी बोलीं- मुझे नहाते हुए चोद दो करन मेरी बहु यहां बहुत चुदी है मेरा बेटा उसको यहां चोद देता था ये कहते हुए आंटी ने मेरा लंड पकड़ा और हिलाने लगीं मेरे लंड ने भी मोर्चे के लिए तैयारी की और मेरे मुँह से यकायक निकला- तेरी माँ की चूत भोसड़ी की चल बन अब कुतिया।
वो झुक गईं और मैंने भी झटके में लंड पेल दिया उनके मुँह से आह निकली और बोलीं- रहम मत कर करन आज अपनी रंडी को पूरी ताकत से चोद दे मैंने भी कुतिया बना कर झटके देना शुरू किए और शॉवर के चलते मैंने उनकी पीठ को पानी से नीचे गीला होने दिया।
आंटी के शरीर पर जितनी तेजी से पानी का फव्वारा चल रहा था उसकी दुगनी रफ़्तार से मेरा लंड उनकी चूत का भोसड़ा बना रहा था करीब पाँच मिनट ऐसे ही करते हुए मैंने आंटी से कहा- आ जा रंडी मेरी आह अब मेरे ऊपर आ जा वो चूत में लंड डाल कर मेरे ऊपर बैठ गईं।
इस बार शॉवर का पानी आंटी के सर से आता उनकी मदमस्त चूचियों पर बह रहा था मैं नीचे से तेज़ झटके दे रहा था तो वो ऊपर से नीचे उतना ही तेज़ होकर चुदवा रही थीं ऐसे करते मैं भी उनकी चूचियां अपने हाथों से खूब तेज़ दबा रहा था वो आह आह करती हुई बोल रही थीं- आह इन पर रहम न करना मसल दे इनको आह और तेज मसल।
करीब 20 मिनट की इस चुदाई में पहले वो झड़ीं फिर मैंने लंड से पिचकारी मारी देसी आंटी के पश्चात हम दोनों बाथरूम में ऐसे ही एक दूसरे से चिपके पड़े रहे होश तब आया जब शॉवर खुद ही बंद हो गया और टंकी से पानी बिल्कुल ख़त्म हो चुका था हम दोनों नंगे उठे और बाहर आकर नीचे आ गए।
आंटी ने मोटर चला कर टंकी भरना शुरू कर दी फिर मेरे लंड को मुँह से चूस चूस कर साफ़ कर दिया चुदाई के बाद हम दोनों नीचे कमरे में ही लगे बेड पर बैठ कर एक बार फिर से चुदाई की तैयारी में लग गए मैंने बैठ कर चूत में उंगली कर दी और आंटी को लिटा दिया।
वहीं बेड के किनारे खड़े होकर मैंने आंटी की चूत को खड़े खड़े लंड पेल कर चोदना शुरू कर दिया उनके दोनों पैर मेरे हाथों में थे और आंटी मेरी आंखों में आंखें डाल कर चूत मरवा रही थीं ये वाला दौर और लम्बा चला मैं भी थकने लगा था और मुझे खड़े हुए 20 मिनट हो गए थे।
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इतनी देर तक मैंने आंटी की चूत को खूब चोदा और देखा तो चूत सूजी भी लग रही थी मैंने अपने लंड का सारा माल इस बार आंटी के पेट पर निकाला आंटी ने भी लंड चूस कर साफ कर दिया अब तक टंकी भर चुकी थी तो वापस बाथरूम में जाकर साथ नहाये और एक दूसरे को साफ़ कर लिया और सो गए।
फिर शाम हो चुकी थी अंकल 7 बजे घर आए मैंने भी आंटी को खाने के लिए कह दिया था क्योंकि मुझे जोधपुर निकलना था सबने साथ खाना खाया आंटी के चेहरे पर मुस्कान और चमक देखता हुआ मैं खुश था मैंने उनको अलविदा कहा।
आज भी आंटी कॉल करके कॉल पर उंगली कर लेती हैं और मुझे वीडियो कॉल पर कभी नहाती हुई कभी उंगली करती हुई दिखा देती हैं तो दोस्तो कैसी लगी मेरी सेक्स कहानी आशा करता हूँ कि भाभी आंटी और बाकी सभी को मेरी कहानी जरूर पसंद आई होगी।
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