यह अन्तर्वासना कहानी गांव के एक प्रेमी जोड़े की है। यह प्रेमी जोड़ा एक दूसरे से मिलने बहुत तरस्ते है। तो एक दिन वह रात को मिलने की योजना बनाते है कामवासना करने के लिए। इस Desi Sex Story को पड़ने आपको मज़ा अजेयगा। यह स्टोरी बहित ही बढ़िया मज़ाकिया और सेक्सी है।
यह xxx sex story marathi उत्तर प्रदेश के एक गांव की है। मैं गांव और आम गांव की तरह एक साधारण सा इलाका था। वहां लोग अपना गुजर-बसर करते थे खेती-बाड़ी करके भैसी चरा कर और बकरियां मुर्गियां पाल के।
लेकिन हर गांव की तरह इस गांव में भी कई सारी चीजें रोज घटित होती थी। गांव में अक्सर लड़का लड़की के प्यार के किस्से सुनने को मिल ही जाते हैं। अक्सर गांव के नौजवान अपने प्यार को पूरा करते हैं झाड़ियों में छठ पर्व में और खेतों में।
इसी तरह यह एक कहानी है जो कि गांव के एक आदमी की है जिसका नाम मूलचंद था। इस कहने में आप जाने गे कैसे कच्ची कली चोदता पकड़ा गया ठरकी आदमी पीटा गांव वालों ने।
मूलचंद साधारण सा व्यक्ति परंतु हरामि आदमी था। उसने गांव की ही एक लड़की को पटा रखा था जिसके साथ उसका रिश्ता लगभग एक साल पुराना हो गया था। मूलचंद के अंदर कामवासना की इच्छाएं बहुत ही ज्यादा थी।
उसकी प्रेमिका का नाम बबीता था और वह भी उससे बहुत ही प्यार करती थी। लेकिन दोनों को अपने कामकाज से फुर्सत नहीं मिलती थी और मैं ज्यादा नहीं मिल पाते थे।
मूलचंद एक बहुत ही ज्यादा ठरकी व्यक्ति था, साथ ही वह नए-नए पैंतरे आजमाया करता था। कि कैसे वह बबीता की ले सके। मूलचंद और बबीता एक दिन खेत में मिलने के लिए पहुंचे, किसी तरह।
उस आदमी ने बबीता को देखते ही उसे चूमना शुरू कर दिया।
बबीता ने बोला – तुम कितने ठरकी हो, तुम्हें जरा भी सबर नहीं है।
मूलचंद ने बोला – क्या करें? हमारे रिश्ते को एक साल हो गया है, और हमने अभी तक प्यार नहीं किया। मतलब (चौड़ाई हुई की)
फिर मूलचंद ने एक तरकीब बनाई और बबीता को बताया – कि वह काम जल्दी कर ले। और रात को मेरे घर के पास आ जाए, अपने घर वालों से बचकर।
परंतु बबीता ने मना कर दिया – क्योंकि वह बहुत ही डरती थी।
उसने कहा – ना बाबा ना, इसमें बहुत ही ज्यादा खतरा है।
लेकिन मूलचंद ने कहा – प्यार की जंग खतरों पर ही जीती जाती है, और हमें यह करना ही पड़ेगा। अगर तुम ऐसा नहीं करोगी तो समझो हम दोनों का रिश्ता खतरे में आ जाएगा।
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बबीता मान गई, और उसने कहा ठीक है, कोशिश करती हूं।
उस रात,
मूलचंद अपनी वासनाओं को अपने अंदर लेकर बड़ी ही बेसब्रीसे इंतजार कर रहा था। बबीता ने भी अपना काम जल्दी-जल्दी कर लिया। और जब तक उसके घर वाले सो नहीं गए तब-तक वह इंतजार और जागती रही।
जैसे ही उसके घर वाले सो गए और बबीता को संतुष्टि हो गए कि अब वह नहीं उठेंगे। उसी वक्त उसने अपना लोटा उठाया और घर से चुपके से निकल आई।
बबीता जल्दी-जल्दी गई और मूलचंद के पास पहुंच गई।
मूलचंद बबीता को देखते ही बहुत ही खुश हो गया,
और बोला – अरे वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।
परंतु मूलचंद बोला – यह लोटा लेकर क्यों आई हो?
बबीता ने बोला – मान लो, अगर घर वालों ने पूछा कहां गए थे, इतनी रात को। तो मैं बोल दूंगी कि मैं टट्टी करने खेत में गई थी। इससे घरवालों को बिल्कुल भी शक नहीं होगा।
मूलचंद बोला – अरे वाह! तुमने तो कमाल कर दिया, तभी मैं तुमसे इतना प्यार करता हूं।
उसके बाद मूलचंद बबीता से चिपट गया और उसको कसकर गले लगा लिया।
बबीता शर्मा ने लगी और बोली – यह क्या कर रहे हो?
मूलचंद बोला – जैसे तुमको पता ही नहीं है, मैं क्या कर रहा हूं? अब ज्यादा नाटक ना करो। और मेरी बाहों में समा जाओ और मुझे तुमको प्यार करने दो।
फिर इसके बाद मूलचंद-बबीता को एक जोर से उसके होठों पर पप्पी दे दी। क्योंकि बबीता के हॉट बहुत ही रसीले और लाल-लाल थे, तो मूलचंद उन्हें चूसता ही रहा।
उसके बाद मूलचंद, बबीता को चारपाई पर लेटा दिया और उसके ब्लाउज के बटन खोल दिया। बबीता के स्तन बहुत ही बड़े बड़े और गोल गोल थे। देखकर मूलचंद का लंड खड़ा हो गया और वो बबीता के चुँचे चूसने लगा।
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इसके बाद, मूलचंद ने बबीता की पेटीकोट ऊपर उठाई, और अपना लंड बबीता की चूत में घुसा दिया।
बबीता एक पल को चीज पड़ी – तो मूलचंद ने उसका मुंह दाब दिया।
और फिर, मूलचंद, बबीता को चोदने लगा। इसके बाद मूलचंद और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और वो बबीता को जोर-जोर से चोदने लगा। वह बबीता को इतनी जोर-जोर से चोद रहा था कि उसकी चारपाई बहुत आवाजे कर रही थी।
बबीता बोले – धीरे करो! वरना कोई ना कोई आ जाएगा और हमें देख लेना।
लेकिन मुलचंद अपनी अंतर्वासना की ठरक में इतना ज्यादा बह गया था। कि उसे बबीता की बात समझ नहीं आई और वह बबीता को जोर-जोर से चोदता रहा उसकी टांगे उठा कर।
बबीता ने अपना मुंह अपने हाथो से दाब रखा था क्योंकि मूलचंद बहुत जोर-जोर से ठोक रहा था। आवाज इतनी जोर-जोर से आ रही थी कि मूलचंद के पापा ने यह आवाज सुन ली और वह उठ गए।
वह दबे पांव बाहर निकले, देखने के लिए की आवाजे कहा से आ रही है। उन्होंने देखा – मूलचंद लगा हुआ है दबाके चारपाई पर।
उसी पल बबीता के घर वाले भी जाग गए और बबीता को ढूंढने के लिए बाहर आ गए। वह परेशान हुए की इतनी रात को बबीता बिना बताए कहां चली गई। वह बबीता को ढूंढते-ढूंढते, मूलचंद के घर के आस-पास आ गए।
उन्होंने देखा चारपाई में से बहुत जोर-जोर से आवाज आ रही है।
बबीता का बाप बोला – ऐसा लगता है, कोई चारपाई पर किसी को चोद रहा है।
फिर बबीता का बाप भी में दबेपाव चारपाई की तरफ गया और उसने अचानक चादर हटा दी। यह कार्यक्रम देख के मूलचंद का बाप और बबीता का बाप दोनों दंग रह गए।
उन दोनों ने देखा कि मूलचंद और बबीता दोनों लगे हुए हैं कामवासना में। यह देखते ही मूलचंद एकदम से उठ गया और,
बोला आप – जैसा देख रहे हैं, वैसा नहीं है। हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और हम यह प्यार ही कर रहे थे।
बबीता का बाप बोला – साले मेरी बेटी को चोद कर तू प्यार करना है।
बबीता की मां बोली – कलमुही तुझे यही मूलचंद मिला था अपना मुंह काला कराने के लिए।
बबीता बहुत ही डर गई, और वो अपने घर भाग गई।
मूलचंद के डर के मारे टांगें कांप रही थी। मूलचंद को लगा कि उसके पापा उसे बचा लेंगे।
परंतु,
उसके पापा ने मना कर दिया और कहा – आप जो करना चाहते हो इसके साथ कर सकते हो।
यह सुनते ही बबीता के पापा ने मूलचंद के एक जमकर थप्पड़ जड़ दिया। मूलचंद की तो मानो दुनिया ही घूम गई। फिर बबीता के पापा ने एक मोटा डंडा उठाया और मूलचंद को मारना शुरू कर दिया।
उन्होंने उसे बहुत मारा, मार-मारकर उसकी गांड तोड़ दी। और फिर अचानक गांव वाले भी यह आवाज सुनकर जाग गए और बाहर निकल आए। उन्हें लगा कि यह कोई चोर है जिसे मारा जा रहा है।
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गांव वाले भी अपने-अपने डंडे लेकर आ गए, और मूलचंद को मारने लगे।
मूलचंद का बाप बोला – अरे रुक जाओ! मेरे बेटे को मार ही डालोगे क्या? तुम लोगों को पता भी है यहां क्या चल रहा है?
गांव वालों ने बोला – हमें क्या पता की क्या चल रहा है? हमें तो ऐसा लगा कि कोई चोर आया है और उसे पीटा जा रहा है।
और हम भी आ गए अपना हाथ साफ करने के लिए।
फिर उन्होंने पूरा किस्सा बताया और गांव वालों को समझाया। उसके बाद गांव के सरपंच ने यह सलाह दी कि इन दोनों की शादी करा दी जाए।
और ऐसा ही हुआ गांव वालों ने मिलकर और उसके परिवार ने मिलकर दोनों की शादी करा दे। लेकिन यह तजुर्बा मूलचंद को जिंदगी भर याद रहेगा। कि कैसे उसकी गांड तोड़ी गई और उसे इतना बुरा मारा गया।
उसे इतना बुरा पीटा गया था, कि वो अपनी सुहागरात के दिन भी कुछ नहीं कर पाया। बबीता को अच्छी सुहागरात मनाने के लिए कम से कम तीन महीना इंतजार करना पड़ा।
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