सावन का बरसता पानी ऑफिस गर्ल की गांड मारी-Office Sex Story
- By : Tharki
- Category : Office Sex Story
ऑफिस स्टाफ सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक दिन बरसात में मुझे मेरी सहकर्मी लड़की का फोन आया उसे रास्ते से घर छोड़ने गया मैं हम भीग गए थे उसने मुझे घर में बुला लिया नमस्कार मेरा नाम साहिल सिंह है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ।
यह ऑफिस स्टाफ सेक्स कहानी अगस्त 2013 की है उस समय जयपुर में बहुत बरसात हो रही थी अचानक मेरे फोन पर मेरी ऑफिस की एक साथ काम करने वाली महिला पल्लवी का कॉल आया- साहिल तुम कहां हो मैंने उत्तर दिया- मैं टोंक रोड पर हूँ और घर जा रहा हूँ।
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पल्लवी ने बोला- यार मेरी कार रास्ते में खराब हो गई है स्टार्ट नहीं हो रही है क्या तुम प्लीज़ आ सकते हो मैंने पल्लवी से पूछा- तुम्हारी लोकेशन कहां है उसने मुझे अपनी लोकेशन बताई और दस मिनट में मैं वहां चला गया मेरे पास बाइक थी और मैं पूरा भीग चुका था।
मैंने कार स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन कार स्टार्ट नहीं हुई मैंने पल्लवी से कहा- शायद ज़्यादा पानी होने की वजह से कार में पानी चला गया है हमें कार यहीं कहीं पार्क करनी होगी और मैं तुम्हें अपनी बाइक से तुम्हारे घर ड्रॉप कर देता हूँ।
पल्लवी ने मुझसे ओके कहा और हम लोग बाइक पर उसके घर के लिए निकल गए पल्लवी शादीशुदा थी और उसके पति किसी काम की वजह से शहर से बाहर गए हुए थे ऑफिस में वो मेरे पास में ही बैठती थी और हम दोनों के बीच काफी अच्छे सम्बन्ध थे।
हम दोनों हर तरह के टॉपिक पर बात कर लेते थे वो काफी हंसमुख महिला थी हालांकि उसकी उम्र ज्यादा नहीं थी लेकिन वो एक शादीशुदा भाभी थी तो मैं उसे लड़की की जगह महिला ही लिख रहा हूँ पल्लवी का पति एक मल्टीनेशनल कम्पनी में कम करता था।
और उसे अपनी कंपनी के काम से आए दिन बाहर जाना पड़ता था मैं भी जयपुर में अकेला रहता हूँ इसलिए हम दोनों कभी कभी एक साथ डिनर पर जाते रहते थे वो मुझको बहुत पसंद करती थी मजाक मजाक में वो मुझसे गर्लफ्रेंड को लेकर बात करने लगती थी।
तो मैं उससे कह देता था कि मुझे गर्ल फ्रेंड बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है एक बार ऐसे ही जब वो मुझसे ज्यादा जोर देने लगी थी तो मैंने उससे कह दिया था- तुम तो हो मेरी गर्लफ्रेंड इस पर वो संजीदा हो गई थी और उसने मुझसे कहा था- काश मैं तुम्हारी गर्ल फ्रेंड बन सकती।
मैंने कहा- क्यों ऐसे क्यों कह रही हो तो वो चुप हो गई थी उस दिन के बाद से मैंने महसूस किया था कि वो मेरी तरफ कुछ ज्यादा ही झुकने लगी थी और मेरी अंतरंग मित्र होने कि कोशिश करने लगी थी पल्लवी हमेशा साड़ी ही पहनती थी और वो उसमें काफी सुंदर लगती थी।
कभी कभी जब काम करते वक्त वो झुकती थी तो उसके गहरे गले के ब्लाउज से उसके दूधिया मम्मे मुझे बेहद आकर्षक लगते थे मैं हालांकि उसी वक्त उसे टोक देता था एक बार ऐसी ही स्थिति में मैंने उसे टोका था- क्यों किसी कुंवारे की जान लेने पर तुली हो।
वो समझ गई थी और अपना पल्लू सही करती हुई बोली थी- कुंवारा खुद ही मूर्ख है तो मैं क्या करूं मैं समझ नहीं पाया और मैंने पूछा- मतलब तुम मुझे मूर्ख कह रही हो वो हंस कर बोली- क्या तुम कुंवारे हो मैंने कहा- हां कोई शक है क्या।
वो अपने होंठ दबा कर हंसती हुई बोली- शादी से पहले भी कुछ लोग कुंवारे नहीं होते हैं मिस्टर मैं समझ गया था और मैंने दबी जुबान से कहा था कि मैं सच में कुंवारा हूँ पल्लवी मेरी तरफ विस्मय से देखने लगी थी और फिर हल्के से हंस दी थी।
खैर उस दिन दोनों लोग पानी में भीगते हुए पल्लवी के घर पहुंचे और मैं पल्लवी को ड्रॉप करके अपने घर के लिए निकलने लगा तो पल्लवी ने मुझसे कहा- तुम थोड़ी देर यहीं रुक जाओ बरसात कम हो जाए तो निकल जाना क्योंकि आगे सड़क पर और भी ज्यादा पानी भरा होगा।
मुझे भी कोई जल्दी नहीं थी क्योंकि मैं अकेला ही रहता था मैं पल्लवी के घर में चला गया पर खड़ा ही रहा मैंने उससे पूछा- तुम्हारे हज़्बेंड कहां हैं उसने बताया- वो आउट ऑफ जयपुर हैं और 2 दिन बाद वापस आएंगे बरसात ज़्यादा होने की वजह से लाइट भी कट थी।
पल्लवी एक मोमबत्ती लेकर आई और बोली- तुम बैठो में चाय बना कर लाती हूँ लेकिन पूरा गीला होने की वजह से मैं कहीं बैठ नहीं सकता था तो मैंने कहा- ऐसे ही ठीक हूँ मैं यहीं गेट पर खड़ा हूँ तुम तब तक चाय बना लाओ।
उसने मुझे तौलिया दिया और बोली- लो अपना सर पौंछ लो मैं चेंज करके आती हूँ और फिर चाय बनाती हूँ वो चेंज करने के लिए अपने रूम में चली गई और वहां उसने एमर्जेन्सी लाइट ऑन कर ली गेट के नीचे से लाइट बाहर आ रही थी और साथ में पल्लवी की परछाई भी दिख रही थी।
जिसमें वो अपनी साड़ी उतारती हुई दिख रही थी यह देख कर मैं थोड़ा उत्तेजित होने लगा और गेट के की-होल से अन्दर झांकने लगा अन्दर का नज़ारा देख कर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया पल्लवी ब्लाउज और पेटीकोट में थी और अपने बाल तौलिया से झाड़ रही थी।
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इसके बाद पल्लवी ने अपना ब्लाउज खोला और अब वो सफ़ेद ब्रा और पीले पेटीकोट में रह गई वो फिर से अपने शरीर को पौंछने लगी तभी अचानक से न जाने क्या हुआ वो जोर जोर से चिल्लाने लगी मैं गेट से थोड़ा पीछे हट गया और घबरा गया।
लेकिन दुबारा चिल्लाने की आवाज़ आने पर मैं हिम्मत करके उसके कमरे में चला गया मैंने देखा कि पल्लवी के पेटीकोट पर एक कॉकरोच चिपक गया था क्योंकि लाइट नहीं थी और पल्लवी ने एमर्जेन्सी लाइट चालू की हुई थी उसकी लाइट में कॉकरोच आ गया था।
मैंने झट से उधर पड़े एक न्यूजपेपर को रोल किया और कॉकरोच को उतार कर मार दिया लेकिन इस दौरान पल्लवी यह भूल गई थी कि वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में है अब मैंने पल्लवी को निहारा तो उसने झट से खुद को तौलिया से ढक लिया।
चूंकि मैं काफी उत्तेजित हो चुका था इसलिए मैं पल्लवी को देखता रहा और धीरे धीरे उसकी तरह बढ़ने लगा पल्लवी थोड़ा सहम गई और उसने नजरें नीचे झुका लीं मैंने पल्लवी को अपनी बांहों में कसके पकड़ लिया हम दोनों गीले थे और ऊपर से बरसात का मौसम मतवाला कर रहा था।
पहले पल्लवी थोड़ा झिझक रही थी लेकिन धीरे धीरे उसमें भी सेक्स करने की इच्छा जागने लगी मैंने झट से पल्लवी की ब्रा का हुक खोल दिया और उसके मस्त और भरे हुए मम्मों को दबाने लगा अब पल्लवी गर्म होने लगी थी और मेरा लंड भी मचलने लगा था।
पल्लवी को सहलाते सहलाते मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया अब वो सिर्फ़ ब्लू पैंटी में थी फिर मैं भी नंगा हो गया और पल्लवी को भी पूरी नंगी कर दिया हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर बेड पर चले गए पल्लवी तो मेरे से भी ज्यादा तेज निकली।
उसने मेरा लंड पकड़ा और झट से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी मैं और ज़्यादा गर्म हो गया मैंने पल्लवी को बेड पर सीधा लेटने के लिए बोला तो पल्लवी ने कहा- पहले कंडोम लगा लो यह बोल कर वो मैनफ़ोर्स कंडोम निकाल कर ले आई और उसने मेरे लंड पर कंडोम चढ़ा दिया।
इसके बाद पल्लवी बिस्तर पर सीधी लेट गई और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया वो गांड हिलाने लगी और लंड का मजा लेने लगी उसी समय मैंने एक तगड़ा झटका मारा और अपना पूरा लंड उसकी चूत में अन्दर तक घुसा दिया।
पल्लवी ने एक मीठी आह भरी और मेरा लंड गड़प कर लिया साथ ही उसने मुझे कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और गांड उठाने लगी मैं उसकी चूत को दबादब चोदने लगा उसकी हल्की हल्की कामुक आहें मेरे कानों में सुनाई देने लगीं।
कभी हम दोनों की गर्म सांसें एक दूसरे से टकरातीं तो कभी हमारे होंठ चुम्बन में लग जाते उस समय मदहोशी का पूरा मौहाल बन चुका था कुछ देर यूं ही चोदने के बाद मैंने पल्लवी से कहा- अब तुम डॉगी स्टाइल में झुक जाओ मैं तुम्हें पीछे से पेलूँगा।
वो उठी और कुतिया के जैसी झुक गई मैंने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और शॉट मारने लगा इस पोज में मुझे उसकी चूत चोदने में बहुत मजा आ रहा था पल्लवी की मादक आहें माहौल को और मदहोश बना रही थीं।
साथ ही जब उसकी मस्त गांड जब मुझसे आकर टकराती तो मजा दोगुना हो जाता मैंने पल्लवी से कहा- मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ तो उसने कहा- यार मैंने पहले कभी ऐसा नहीं करवाया है मगर मैं आज तुम्हारे साथ सब करने को राजी हूँ बस प्लीज़ धीरे धीरे करना।
मैंने ओके कह कर चूत से लंड निकाला और पल्लवी की गांड पर अपना लंड रख दिया वो अपनी गांड के छेद पर मेरे लंड का सुपारा लेकर सहमने लगी थी मैंने उसकी गांड पर थूक गिराया और धीरे से लंड को थोड़ा सा दबाते हुए अन्दर डाला।
सुपारा गांड के पहले छल्ले को फैलाता हुआ अन्दर जाने लगा मैंने कुछ और थूक टपकाया और लंड दबाने लगा पल्लवी की सांसें तेज हो गई थीं और उसकी कसमसाहट समझ आने लगी थी उसे दर्द हो रहा था लेकिन वो लंड झेल रही थी।
मैंने कुछ और जोर दिया तो वो कुछ और जोर से आहें भरने लगी फिर वो कराहती हुई बोली- प्लीज़ रहने दो बहुत दर्द हो रहा है मुझसे पीछे से सहन नहीं हो पाएगा तुम चूत को ही चोद लो उसकी गांड के टाइट होल ने और उसकी गर्म आंहों ने मुझे ऐसा महसूस कराया था।
मानो मैं किसी सील पैक माल को चोद रहा हूँ तो मेरा मन रुकने का नहीं था उसकी मदमस्त गांड ने मुझे पूरा मदहोश कर दिया था मैंने पल्लवी की बात को नजरअंदाज किया और उसकी कमर से कसके पकड़ कर जोर का झटका दे मारा।
मेरा लंड थोड़ा और अन्दर चला गया मगर पल्लवी की चीख निकल गई और वो अपनी पोजीशन से हट कर बेड पर गिर गई उसके साथ मैं भी उसी की गांड में लंड फंसाए उस पर लेट गया मैंने अपना पूरा लंड ज़बरदस्ती उसकी गांड में घुसा दिया।
पल्लवी आहें भरने लगी और बोली- प्लीज़ थोड़ा रुक जाओ लंड को अन्दर ही रहने दो झटके मत मारो लेकिन मुझे गांड मारने में मजा आने लगा था मैंने पल्लवी की गांड को थोड़ी देर चोदा और वापस अपना लंड बाहर निकाल लिया।
उसी वक्त मैंने पल्लवी को झटके से सीधा किया और उसकी चूत में अपना लंड डाल कर उसकी चूत चोदने लगा इससे पल्लवी को आराम पड़ गया और वो चूत चुदवाने लगी थोड़ी समय के बाद पल्लवी ठंडी हो गई और मैं भी पल्लवी को चोदते चोदते ठंडा पड़ गया।
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पल्लवी ने मेरे लंड पर से कंडोम निकाला और बेड के साइड में नीचे छोड़ दिया वो मुझसे लिपट गई और बोली- सच में मजा आ गया क्या आज रात तुम मेरे घर ही रुक सकते हो मैंने हां बोल दिया क्योंकि मैं वैसे भी जयपुर में अकेला ही रहता हूँ तो मुझे कोई चिंता नहीं थी।
उस रात मैंने पल्लवी को बहुत मस्ती से चोदा पल्लवी की गांड मारने की इच्छा थी मेरी फिर से मगर उसने मुझे उस रात अपनी गांड को दुबारा नहीं चोदने दिया इसके बदले में मैं जो चाहता था मेरी वो इच्छा पल्लवी ने पूरी की वो क्या इच्छा थी इसका खुलासा मैं अगली सेक्स कहानी में करूंगा दोस्तो आपको मेरी यह ऑफिस स्टाफ सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे मेल जरूर करें।
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