तेल मालिश के बहाने मालकिन की चूत चुदाई-Hindi Sex Story

तेल मालिश के बहाने मालकिन की चूत चुदाई
Hindi Sex Story

दिन भर साईकिल पर बैठ कर हर जगह घूमा पर कुछ भी उधारी वसूल नहीं हुई मैं थोड़ा सा डर गया मेरी मालकिन आज मुझे बहुत ही गंदे तरीके से डाटेंगी ऐसा मुझे लगने लगा मैं अब मालकिन को क्या जवाब दूँ यह सोचते हुए मैं दुकान के पास आ गया

दुकान में सेठजी बैठे हुए थे वो मुझे देखते ही चिल्ला कर बोले- सुरेश कैसा हुआ आज का धंधा मैंने साईकिल दीवार के पास लगाई और बोला- सेठजी मैं सबके पास गया पर सेठजी- उधारी नहीं मिली, यही ना सेठजी और चिल्लाकर और गुस्से से मुझे बोले मैं चुपचाप खड़ा था

सेठजी- तो फिर अन्दर जा और जाकर बता दे उसे मैं डरते हुए अन्दर गया मालकिन पलंग पर पान खाकर सुस्ताई से पड़ी हुई थी. मेरी मालकिन उमर से लगभग 35 से 37 साल की होगी. पर उसका बदन किसी जवान लड़की जैसा रसीला था 

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शरीर मजबूत था स्तनों का आकार बड़ा होने के कारण उनकी छाती एकदम भरी हुई लगती थी कमर भी बड़ी और गोलमटोल थी पर मालकिन बहुत ही कड़क स्वभाव की थी पिछली बार मैं जब उधारी वसूल करने गया था और मेरे दोस्तों के साथ पत्ते खेलने बैठ गया था 

यह बात मालकिन को किसी ने बता दी थी तब से मालकिन अपनी तेज नजर मुझ रखे हुए थी मैं मालकिन के पास गया मेरे आते ही उन्होंने मुझे देखा और कहा- सुरेश मैंने तुम्हें जो नाम दिए थे क्या क्या हुआ उनका मैं- मालकिन, हर एक पास गया पर

मालकिन- अरे थोड़ी बहुत भी वसूली नहीं की या कुछ उखाड़ कर भी लाया है मैं ना में गर्दन हिला दी मालकिन गुस्से में मुझ पर बरस पड़ी और उल्टा सीधा बोलने लगी मैं- मालकिन गुप्ताजी ने कहा है कि अगले हफ्ते दूंगा मालकिन- तो फिर तू वैसे ही खाली हाथ आ गया

मैं सर झुका कर खड़ा हो गया मालकिन थोड़ी देर तक वैसे ही पड़ी रही और फिर बोली- सुरेश तेरा आज का दिन तो खाली ही गया, तेरे हाथों से एक भी काम नहीं हुआ मैं नीचे गर्दन झुकाए वैसे ही खड़ा रहा तभी मालकिन बोली- अब एक काम कर

मैंने उनकी तरफ देखा तो मालकिन ने बिस्तर पर पड़े पड़े ही अपनी साड़ी एकदम से घुटनों के ऊपर तक कर ली मालकिन के गोरे-चिट्टे पांव एकदम से नंगे हो गए मालकिन- सुरेश जरा मेरे पैर तो दबा दे कम से कम दिन में अपने हाथों से इतना सा तो काम कर ही दिया कर

मुझे लग रहा था कि मालकिन मुझे बड़ी बड़ी गालियां देगी पर वो तो सिर्फ पांव दबाने को कह रही है उनका आदेश सुनकर मैं बहुत ही खुश हुआ और मैं झट से जाकर पलंग पर बैठ गया मैं मालकिन का एक पैर धीरे धीरे दबाने लगा मालकिन आंखें बंद करके चुपचाप पड़ी थी

मालकिन के गोरे गोरे पैर दबाते हुए मुझे भी मजा आने लगा मेरा हाथ घुटनों के ऊपर तक जा रहा था धीरे धीरे मालकिन को भी मेरा इस तरह से पैर दबाना पसंद आने लगा पैरों का स्पर्श नरम नरम मुलायम सा था पर मुझे तो कुछ अलग ही आकर्षण लगने लगा था

मालकिन के दोनों पांवों को मैं बहुत देर तक दबाता रहा मालकिन को भी शायद अच्छा लग रहा था इसलिए उसने खुद ही अपनी साड़ी को और ऊपर खींच लिया साड़ी ऊपर करने से मेरी आँखें नशे में मस्त हो गईं मालकिन की गोरी गोरी जांघें एकदम से नंगी हो गई थीं केले के पेड़ के तने जैसी उनकी मक्खन जांघों को देखकर मेरे मुँह में पानी आने लगा

मैं- और दबाऊं मालकिन- अरे हां दबा ना और किसलिए इन्हें नंगा किया है वे कड़क आवाज में बोली थी मैंने झट से मालकिन का एक पैर दबाना शुरू कर दिया मेरी पूरी जिंदगी में मुझे ऐसा सुख कभी नहीं मिला था जितना सुख मुझे आज मिल रहा था

मालकिन की गोरी गोरी जांघें बहुत ही आकर्षक दिख रही थीं उनका स्पर्श मेरे मन को बहुत ही सुखद लग रहा था दोनों जांघों पर मेरे हाथ बड़ी मस्ती से चल रहे थे और मालकिन धीरे धीरे आवाज में सिसकारियां ले रही थी

मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा भी शरीर गर्म होता जा रहा है मेरी पैन्ट में भी हलचल शुरू होने लगी थी मेरा हाथ मालकिन की मक्खन जांघों पर फिसलता हुआ और ऊपर जाने लगा था जब दो तीन बार मेरा हाथ ऊपर को गया और मालकिन की तरफ से कोई आपत्ति नहीं हुई तो मेरे मन में आने लगा कि अपना हाथ और ऊपर तक घुसेड़ दूँ

इधर पैन्ट में मेरा लंड लंबा कड़क होकर सावधान पोजिशन में खड़ा हो चुका था उनकी जांघों की मालिश करते हुए ऐसा मुझे लग रहा था कि मालकिन मुझे यह काम कभी भी रोकने की कहें ही ना थोड़ी देर बाद मालकिन पेट के बल लेट गई और जांघें फैला कर बोली- सुरेश थक तो नहीं गए ना

मैं- नहीं मालकिन- अब पूरे मन से दबा तू जब तक थक नहीं जाता तब तक दबाता रह मैं बड़ी मस्ती से फिर से मालकिन की जांघें दबाने लगा इस बार मालकिन पेट के बल लेटी थी इससे उनकी मोटी गांड साड़ी के ऊपर से मुझे महसूस हो रही थी 

कुछ देर तक जांघों पर हाथ फेरने के बाद मुझे लगने लगा कि उनकी साड़ी पूरी ऊपर करके मालकिन की गांड देख लूं मैंने एक बार हाथ अन्दर डाल कर उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा जब मालकिन की तरफ से कुछ विरोध नहीं हुआ तो मैं समझ गया कि मालकिन मजे ले रही है 

मैं उनकी मालिश करते हुए साड़ी पूरी ऊपर तक ले जाने लगा था मालकिन के चूतड़ों के नरम नरम मुलायम स्पर्श से मेरा शरीर भट्टी के जैसे गर्म हो चुका था और पैन्ट के अन्दर लंड जोर जोर से फड़फड़ाने लगा था मालकिन- आह सुरेश सच में कितना अच्छा दबा रहा है तू बड़ा सुख मिल रहा है रे

मैं- तेल लगा कर दबाऊं एकदम मालिश के जैसे आपको और अच्छा लगेगा मैंने जरा मूड में आकर पूछा थ तो मालकिन फिर से सीधी होकर लेट गईं और साड़ी को नीचे लाते हुए झट से उठ कर बैठ गईं उनके उठकर बैठ जाने से मैं डर गया पर मालकिन ने धीरे आवाज में बोला- तेल लगा कर दबाना पर अभी नहीं

मैंने और भी बेकरार होकर पूछा- फिर कब मालकिन ने आँखें नचा कर अपनी चुदास बिखेरी और कहा- रात को मैंने भी उनकी चूचियों को देखा और आह भरते हुए जबाब दिया- ठीक है मालकिन ने मेरी निगाहों को मानो पढ़ लिया था वो बोली- रात को तू इधर आ जाना भूलना मत मैं तुझे यहीं मिलूंगी

मैं- और सेठजी मालकिन- वह आज घर पर नहीं हैं कहीं बाहर जाने वाले हैं मैं इधर अकेली ही रहूँगी जा अब. अपनी पैन्ट ठीक कर ले मैं उनकी इस बात को सुनकर हल्के से हंस दिया और लंड को अडजस्ट करते हुए बाहर आ गया मेरा मन अब किसी काम में नहीं लग रहा था 

मुझे सिर्फ मालकिन की मस्त जवानी दिख रही थी हालांकि मुझे नहीं मालूम था कि मालकिन मुझसे कहां तक मजा लेती या देती हैं तब भी उनके मक्खन शरीर पर हाथ फेरने का सुख तो पक्के में मिलने वाला था मालकिन की भारी भरकम भरी हुई जांघें मेरी नजरों के सामने से हट ही नहीं रही थीं 

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अब आज रात को मालकिन की तेल से मालिश करनी थी इस ख्याल से ही मेरा पूरा शरीर और भी गर्म हो चुका था उस दिन शाम तक मैंने अपने सारे काम जल्दी से जल्दी निपटा लिए और रात को उस अन्दर के कमरे में जाकर बैठ गया मालकिन न जाने कब आएगी मुझे बड़ी बेचैनी सी लग रही थी

थोड़ी देर बाद मालकिन आ गई. मुझे आते समय उनके हाथ में तेल की बड़ी कटोरी दिखाई दी फिर उन्होंने पलंग के पास कटोरी रखी और सारे दरवाजे अन्दर से बंद कर दिए मालकिन मुझे देखते हुए बोली- सुरेश तू भी अपनी पैन्ट और शर्ट निकाल दे वरना तेल के दाग तेरे कपड़ों में गिर जाएंगे

इतना कहकर मालकिन ने अपने शरीर से साड़ी अलग करके बगल में रख दी पेटीकोट ब्लाउज में पर मालकिन किसी अप्सरा के जैसी दिख रही थी उनका गोरा गोरा सफेद पेट बहुत ही सुंदर दिख रहा था

मैंने उनके चिकने मदमस्त बदन को देखते हुए अपनी शर्ट और पैन्ट निकाल कर मालकिन के कपड़ों के ऊपर ही रख दिए. अब मेरे शरीर पर सिर्फ अंडरवियर ही शेष था मालकिन मुझे ऊपर से नीचे तक देखने लगी तो मैं थोड़ा सा शरमा गया चूंकि मालकिन ने ही मुझे कपड़े निकालने को कहा था और मैं भी निकालना चाहता था

इसके बाद मालकिन पलंग पर आराम से पेट के बल होकर लेट गई और उन्होंने अपने दोनों हाथों से अपना पेटीकोट ऊपर करके खींच लिया उन्होंने एकदम बिंदास होकर अपना पेटीकोट ऊपर खींचा था जिससे उनकी लगभग आधी जांघें नंगी दिखाई देने लगी थीं

लाइट के उजाले में मालकिन की जांघें चमक रही थीं उन संगमरमरी जांघों को देखकर मैं झट से आगे बढ़कर उनके पास चला गया मैं- तेल लगाकर मालिश करूं ना मुझे पता तो था, फिर भी मैं पूछ लिया मालकिन- हां बस इतना ही बोली थी कि मैंने जल्दी से तेल में मेरी उंगलियां डुबो कर उनके गोरी गोरी जांघों पर हाथ रख दिया 

मैं धीरे धीरे उनकी भारी भरकम भरी हुई जांघों पर तेल की मालिश करके दबाने लगा मेरे दोनों पैर उनके दोनों जांघों के ऊपर से ऊपर नीचे हो रहे थे मैंने फिर जानबूझ कर पेटीकोट के अन्दर हाथ ले जाना शुरू किया ताकि मालकिन की बड़ी सी गांड दिखाई दे जाए

मेरा विचार बना ही था कि मेरा लंड उनके बदन के स्पर्श से एकदम खड़ा हो चुका था और मेरी अंडरवियर आगे की तरफ बहुत ही फूल गई थी मालकिन की नर्म नर्म जांघें दबाते समय जो कुछ मुझे आकर्षण लग रहा था, उसे लिखने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं

मालकिन ने अपनी जांघें बहुत ही ज्यादा फैला दीं मैं मालकिन की दोनों जांघों में जाकर बैठ गया और उनकी जांघें दबाने लगा उन्होंने अपना पेटीकोट और ऊपर खींच लिया और बोली- बड़ा मस्त लग रहा है रे सुरेश और तेल लगा मालकिन की लगभग आधी गांड नंगी हो चुकी थी 

गांड की दरार मुझे साफ दिख रही थी मेरा लंड डटकर खड़ा होकर मुझे पागल बना रहा था मेरा ध्यान उनकी गांड पर पूरी तरह से गड़ चुका था मैंने उनकी गांड के दरार में तेल डाला और उनकी गांड देखते हुए उंगलियां ऊपर नीचे करने लगा. मेरे मन में अब कोई भी डर नहीं था 

मेरा सारा शरीर इतना गर्म हो चुका था कि मेरी सांसें मुझे गर्म महसूस हो रही थीं तभी मैंने देखा कि मालकिन की थोड़ी सी चुत भी मुझे दिखने लगी थी उनकी गुलाबी सी रंगत लिए चुत के आस-पास छोटे बाल फैले हुए थे मेरा हाथ अब उस पार उनकी गांड की दरार में ऊपर नीचे हो रहा था 

मतलब मेरा हाथ उनकी चुत को स्पर्श कर रहा था. इसी बीच मैंने पूरा का पूरा पेटीकोट उनकी कमर तक ऊपर कर डाला और मालकिन की गोरी गोरी बड़ी मादक गांड पूरी तरह से नंगी हो गई मेरी कामवासना भड़क उठी मैंने मालकिन को धीरे से कहा- मालकिन तेल की वजह से मेरी अंडरवियर पूरी गीली हो चुकी है मैं अंडरवियर निकाल दूँ

मालकिन- हां निकाल दे सुरेश मैं भी तुझे यही कहने वाली थी इतना सुनते ही मैंने झट से मेरे शरीर से अंडरवियर को आजाद कर दिया मेरा 7 इंच का लंड तनकर फड़फड़ाने लगा मुझे लगने लगा कि मालकिन की गांड की दरार में मेरा लंड ऊपर नीचे करूं पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी

तभी मालकिन ने लेटे हुए ही अपनी गर्दन पीछे करके देखा और मेरा लंड देख कर वह एकदम सीधी होकर लेटी और उठ कर बैठ गई मालकिन की आंखों में वासना के लाल डोरे साफ़ दिखने लगे थे उन्होंने मेरा लंड अपने हाथों की मुट्ठी में ले लिया और मुझसे बोली- सुरेश हाय रे तेरा हथियार कितना बड़ा है

इतना कहकर उन्होंने मेरा लंड अपने हाथों से छोड़ दिया और अपने शरीर से ब्लाउज को निकाल फेंका उनके बड़े बड़े पके हुए आम के जैसे दोनों स्तन थिरक रहे थे मैंने झट से उनके स्तन अपने हाथों में पकड़ कर उन्हें कचाकच दबाने लगा 

मैंने एक हाथ पेटीकोट के अन्दर डालकर मालकिन की चुत उंगलियों से सहलाने लगा मालकिन- सुरेश तेरा पाईप इतना लंबा चौड़ा है यह मुझको पहले पता होता तो मैं अब तक अपनी भूख अनेकों बार मिटा चुकी होती और मेरी चुत की आग शांत हो चुकी होती

इतना सब खुल कर कहकर उन्होंने अपने शरीर से बचा कुछा पेटीकोट भी निकाल दिया और उन्होंने मुझे सीधा लेटा दिया अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी मालकिन मेरे शरीर के ऊपर चढ़ गई मेरी कमर के दोनों बगल में उन्होंने अपने दोनों घुटने टेक दिए और थोड़ी देर तक वह अपनी गांड मेरे लंड पर घिसती रही

फिर उन्होंने मेरा लंड हाथ से पकड़ कर एकदम ऊपर की ओर खड़ा किया फिर धीरे धीरे से अपनी चुत उन्होंने मेरे लंड पर रख दी मेरा लंड उनके चुत में थोड़ा सा अन्दर चला गया फिर मालकिन ने अपनी गांड ऊपर नीचे की और नीचे ऊपर हिलाने लगीं

वो कुछ ही पलों में गांड को बड़ी मस्ती से आगे पीछे करते हुए जोर-जोर से हिलाने लगीं कुछ ही क्षणों में मेरा लंड पूरा का पूरा उनकी चुत के अन्दर समा गया मालकिन ने एक मस्त सी आह भरी उम्म्ह अहह हय याह और अपनी कमर जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगी 

मेरा लंड उनके चुत में अन्दर बाहर होने लगा मालकिन तूफानी ताकत से लंड पर हिल रही थी और ऐसे हिलते समय उनके बड़े बड़े दोनों स्तन ऊपर नीचे झूल रहे थे मैंने हाथ आगे करके उनके दोनों स्तनों को हाथों में पकड़ा और उन्हें कचाकच दबाने लगा बीच में ही मैं भी अपनी कमर को ऊपर नीचे करके चुत में धक्के लगाने लगा

मालकिन- सुरेश अरे बेवकूफ ऐसा कामसुख मेरे घर में होते हुए भी मैं अकारण ही तड़प रही थी अब मैं तुम्हें कभी भी नहीं छोड़ूँगी आह बड़ा मस्त लंड लग रहा है आआह ऐसे ही बड़बड़ाते हुए वह जोर जोर से ऊपर नीचे अपनी गांड को हिला रही थी 

मैं उनके स्तनों को दबाते हुए नीचे से ऊपर दनादन धक्के मार रहा था. मेरा लंड जोर जोर से अन्दर बाहर हो रहा था और मेरी धक्के देने की गति और भी तेज हो रही थी मैं अब सीधे ही मालकिन की कमर को पकड़ कर नीचे से ऊपर जोर जोर से धक्के मारने लगा 

और फिर एकदम उनकी कमर जकड़ कर नीचे से ऊपर जोर से आखिरी धक्का मारा उन्होंने गांड भी अपनी नीचे दबा दी मेरी वीर्य का फव्वारा उनकी चुत में गिरते ही उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं और मेरे शरीर पर ढेर हो गईं मालकिन की बड़ी मादक विशाल गांड के ऊपर मैं अपना हाथ घुमाता रहा

फिर थोड़ी देर के बाद वह लुड़कते हुए मेरे बगल में लेट गई- सुरेश अब हफ्ते में 5 से 7 बार तू यहीं मेरे पास सोएगा मैंने उनका एक स्तन मुँह में लिया और चूसते हुए बोला- हां सोऊंगा ना फिर उन्होंने भी मेरे मुरझाये हुए लंड को सहलाना चालू कर दिया 

उनके सहलाने से मेरा लंड धीरे धीरे फिर से खड़ा होने लगा और थोड़ी देर में ही लंड एकदम पहले जैसा लंबा और मोटा हो गया मैं अब चुदाई करने मालकिन के शरीर पर चढ़ गया मैंने उनकी दोनों जांघों को हाथ लगाया तो उन्होंने खुद अपनी टांगें फैला दीं

तेल मालिश के बहाने मालकिन की चूत चुदाई

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मैंने अपना खड़ा हुआ लंड उनकी चुत पर रखा और एक ही धक्के में मेरा लंड उनकी चुत में बच्चेदानी तक समा गया. मालकिन की एक तेज आह निकल गई मैंने धकापेल चुदाई करना शुरू कर दी कोई 25 से 30 मिनट तक मैं लंड को मालकिन की चुत में आगे पीछे करता रहा 

इस बीच मालकिन दो बार झड़ चुकी थी उस रात मैंने मालकिन को खूब चोदा और उनके मम्मों का भरपूर मजा लिया. मालकिन ने भी मुझे सुबह होने तक नहीं छोड़ा था उस रात में मैंने 4 बार मालकिन पर चढ़कर उनको चोदा और 2 बार मालकिन ने मेरे लंड के ऊपर चढ़ कर मुझे चोदा

मेरे लंड की ताकत से मालकिन का मैं पर्सनल चोदू बन गया था इसी लंड के नसीब से ही अब मुझे यह नौकरी मिल गई थी मेरी मालकिन की चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी प्लीज़ मुझे मेल करें

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