बहन की प्यास मेरे लंड से बुझी-Bhai Behen ki Chudai
- By : Tharki
- Category : Bhai Behen ki Chudai
दोस्तो मैं आपकी सुहानी आज मैं हाजिर हूँ एक नई कहानी लेकर बहुत समय से मैंने कोई कहानी नहीं लिखी क्यूंकि मैं काफी टाइम से चुदी नहीं हूँ न इसलिए अब तो मन करने लगा है कि एक बार और चुद ही लिए जाये।
मगर चुदने के लिए एक अदद लंड तो चाहिए ही और उसी की कमी थी और अभी तो मैं कॉलेज में ही पढ़ती हूँ तो ज़ाहिर सी बात है कि इतनी परिपक्व नहीं हुई हूँ कि किसी मर्द को पटा सकूँ और उससे अपनी प्यासी जवानी की प्यास बुझा सकूँ।
हाँ sexstoryinhindi.in पर कहानियाँ पढ़ पढ़ कर इतनी लुच्ची ज़रूर हो गई हूँ कि सच में चुदाई में कैसा मज़ा आता है यह जानने के लिए मैंने अपनी कच्ची जवानी किसी के हवाले कर दी बेशक बहुत दर्दनाक अहसास था वो पहली बार था इस लिए।
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मगर एक बात ज़रूर थी कि बेशक पहली चुदाई तकलीफ देह थी खून भी निकला मेरे मगर फिर भी मुझे ये दर्द बहुत प्यारा लगा कुछ दिनों बाद मुझे फिर से उस दर्द को महसूस करने की इच्छा होने लगी हालांकि sexstoryinhindi.in पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर मुझे इतना पता चल चुका था कि सेक्स में सिर्फ पहली बार ही दर्द होता है उसके बाद नहीं अगली बार के सेक्स में तो मज़ा ही मज़ा आता है।
और मैं यही सोच भी रही थी कि बेशक मेरा पहला सेक्स तकलीफ देह था मगर फिर दर्द होने के बावजूद मुझे मज़ा भी तो आया था इस बार तो दर्द भी नहीं होना था इस बार तो मज़ा आना पक्का था मैंने अपने बॉयफ्रेंड से पूछा तो उसने अपने किसी एग्ज़ाम की बात कह कर थोड़े दिन रुकने को कहा।
मगर मुझे ऐसा अहसास हो रहा था कि मैं रुक तो बिल्कुल भी नहीं सकती थी दिन रात मुझे मेरे तन बदन में लगी वासना की आग तड़पा रही थी हर हैंडसम मर्द को देखते ही सोचती कि ये ही मुझसे पूछ ले सुहानी चुदवाएगी क्या मगर ऐसा कैसे हो सकता था।
मेरी कमसिन उम्र देख कर ज़्यादातर तो मुझे बेटा बच्चे कह कर ही बात करते थे तो इतना तो पक्का था कि कोई मैच्योर मर्द तो मुझे मिलने से रहा हाँ क्लास के एक दो लड़के बहुत आगे पीछे घूम रहे थे मगर वो तो साले बिल्कुल ही बेकार से थे।
अब यूं ही किसी ऐरे गैरे को अपना आप नहीं सौंप सकती थी क्योंकि जब जब भी मैं अपने घर में शीशे के सामने नंगी हो कर खड़ी होती तो मेरा दर्पण मेरे हुस्न की इतनी तारीफ करता मेरे चेहरे की मेरे गोरे बदन बदन की मेरे मम्मों की मेरी चूत की मेरे चूतड़ों की मेरी जांघों की मेरे पेटकी मेरी पीठ की कि मैं खुद ही शर्मा जाती।
सर से पाँव तक हल्के गुलाबी रंग की 19 साल की लड़की जिसको खुद अपने हुस्न पर इतना गुमान हो वो किसी भी टुच्चे से लड़के से तो हाथ लगवाना भी पसंद न करे खैर मैंने सोचा इस तड़पती हुई जवानी को संभालने का एक ही तरीका है कि अपना दिमाग कहीं और लगाया जाए।
और इस लिए मैंने सोचा कि कहीं बाहर घूम कर आया जाए तो मैंने अपने पापा से कहा- पापा कॉलेज की छुट्टियाँ हैं मैं सोच रही थी कि मैं बुआ जी के घर कुछ दिन लगा आऊँ पापा को भी कोई ऐतराज नहीं था तो उन्होंने मुझे जाने की इजाज़त दे दी बुआ मेरे शहर से बस थोड़ी ही दूर रहती है।
बस में बैठ कर मैं एक घंटे में बुआ के घर पहुँच गई जब बुआ के घर पहुंची तो वहाँ देखा ताला लगा था बड़ा परेशान हुई मैं सोचने लगी कि अब क्या करूँ मैंने अपनी बुआ के लड़के निखिल को फोन लगाया तो उसने बताया कि मम्मी पापा तो आगे किसी रिश्तेदारी में शादी में गए हैं।
वो अपने कॉलेज गया हुआ है बस थोड़ी देर में ही आ जाएगा मैं वहीं घर के बाहर बैठ कर इंतज़ार करने लगी करीब डेढ़ घंटे बाद निखिल भैया आए आते ही पहले गले मिले फिर सॉरी सॉरी करते हुये घर का ताला खोला तो हम अंदर गए मुझे पानी देते हुआ पूछा- तू कैसे आई।
मैंने कहा- भैया मैं छुट्टियों में घर पर बोर हो रही थी, सोचा दो चार दिन आप लोगों के साथ बिता लूँ मगर यहाँ तो सभी बाहर गए हैं निखिल बोला- अरे तू चिंता मत कर मैं हूँ न मम्मी पापा तो कल शाम तक आएंगे तब तक हम दोनों भाई बहन मिल कर फन करेंगे।
मैं सोचने लगी अरे निखिल भैया जो फन मैं करना चाहती हूँ वो तो तुम करोगे नहीं तो फन क्या साला घंटा होगा मगर चलो अब आ ही गई हूँ, तो सोचा के एक दो दिन रुक जाती हूँ दोपहर का समय था तो निखिल भैया मुझे अपनी बाईक पर बैठा कर बाहर ले गए।
हमने लंच बाहर ही किया और कुछ करने को तो था नहीं तो वैसे ही फिर मूवी देखने पीवीआर में घुस गए मैं निखिल भैया के साथ चिपक कर बैठी मैंने उनकी बाजू को अपनी दोनों बाजुओं के जकड़ रखा था इस तरह मेरा एक मम्मा निखिल भैया की बाजू से लग रहा था।
मैं तो इस चीज़ को समझ रही थी मगर मुझे लग रहा था कि निखिल भैया भी ये चीज़ समझ गए और वो भी बात बात में अपनी बाजू हिला हिला कर अपनी कोहनी से मेरे मम्मे को छेड़ रहे थे तभी मेरे मन में खयाल आया कि निखिल भैया भी काफी तंदरुस्त हैं जिम जाते हैं मसल वसल बना रखे हैं।
अगर ये मेरे पे चढ़ जाए तो सच में तसल्ली करवा दे मेरी फिर सोचा अरे नहीं निखिल भैया तो मुझे अपनी छोटी बहन मानते हैं वो ऐसा क्यों करेंगे कि लोग उन्हें बहनचोद बोलें मगर किसी को क्या पता चलेगा अगर बंद कमरे में आज रात वो मेरा चूत चोदन कर दें।
मैंने कौन सा शोर मचाना है, मैं तो खुद ही अपने कपड़े खोल दूँगी मेरा तो मूवी से मन ही उखड़ गया मैंने निखिल भैया की बाजू और ज़ोर से कस ली और थोड़ी सी करवट लेकर बैठी ताकि उनकी बाजू मेरे दोनों मम्मों के बीच में आ जाए, वो मेरे दोनों मम्मों को महसूस कर सकें।
शायद मेरी स्कीम कामयाब रही, पूरी मूवी में निखिल भैया ने भी अपनी कोहनी से मेरे दोनों मम्मों को खूब सहलाया मूवी देख कर बाहर निकले तो बाहर मौसम बड़ा सुहावना था आसमान में बादल थे ठंडी ठंडी हवा मगर बरसात नहीं थी निखिल भैया बोले- अरे वाह आज तो बड़ा मस्त मौसम है आज तो कुछ हो जाए।
मैं समझी कि शायद निखिल भैया मुझे इशारा दे रहे हैं मगर फिर थोड़ी देर बाद बोले- आज तो बीयर पीने का मौसम है फिर मुझे देख कर बोले- अरे सुन सुहानी तू किसी को बताएगी तो नहीं, अगर मैं बीअर पीऊँ तो मैंने इठलाते हुये कहा- अगर अकेले पियोगे, तो ज़रूर बताऊँगी वो हैरान हो कर बोले- तू पीती है बीअर।
मैंने कहा- नहीं पीती तो नहीं हूँ, मगर आपके साथ कंपनी कर लूँगी वो खुश हुये- अरे वाह फिर तो मज़ा आ गया उसके बाद हम शराब के ठेके पर गए, वहाँ से निखिल भैया ने 4 बीअर ली साथ में चखना नमकीन पनीर कोल्ड ड्रिंक वगैरह ली।
और हम घर को चल पड़े. मगर थोड़ी दूर ही चले थे कि तेज़ बारिश शुरू हो गई और तेज़ हवा भी चल पड़ी। दो मिनट में ही हम भीग गए. मगर हम रुके नहीं और भीगते हुये ही घर वापिस आए। जब घर पहुंचे तो हम दोनों के कपड़े टपक रहे थे।
अंदर घुसते ही हम दोनों ने अपने अपने नए कपड़े निकाले और बाथरूम में घुस गए। मैंने नहाने के बाद एक हाफ पैंट और टी शर्ट पहन ली, मगर नीचे से कोई ब्रा या पैंटी नहीं पहनी, जिस वजह से ठंड से कड़क हुये मेरे छोटे छोटे निप्पल मेरी टी शर्ट से साफ दिख रहे थे।
निखिल भैया भी अपने कपड़े बदल कर आए। उन्होंने भी एक टीशर्ट और निकर पहनी थी मेरे सामने आते ही उनकी नज़रें सबसे पहले मेरे निप्पलों पर पड़ी छोटे छोटे मम्मो की कड़क डोडी देख कर उनकी आँखों में एक चमक सी आई बेशक मैं उनकी छोटी बहन थी मगर अब मैं जवान हो चुकी थी।
और मेरी चढ़ती जवानी किसी को दीवाना कर सकती थी मैंने भी निखिल भैया को देखा टी शर्ट और निकर में उनके बदन के बने हुये मसल बहुत खूबसूरती से दिख रहे थे। मैंने भी उनके जिस्म को घूर कर देखा हम दोनों सोफ़े पर बैठ गए निखिल भैया ने टीवी लगा दिया और हम यूं ही चैनल बदल बदल कर कभी कुछ तो कभी कुछ देखने लगे।
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बाहर झमाझम बारिश हो रही थी फिर निखिल भैया ने पूछा- सुहानी लाऊं बीअर मैंने भी हाँ कह दिया भैया उठे और फ्रिज से ठंडी बीअर निकाली और किचन से बाकी खाने का सामान ले आए एक बोतल खोली और दो गिलासों में डाल दी हम दोनों ने गिलास उठाए और चीयर्ज कह कर गिलास टकराए और एक एक घूंट भरी।
अब निखिल भैया तो पीते रहते थे, सो वो तो पी गए मगर मुझे बड़ा अजीब लगा। बहुत ही तेज़ स्वाद था मगर बुरा नहीं था निखिल भैया को देख देख कर मैं भी पीती रही और साथ में अल्लम गल्लम खाती रही एक एक गिलास हम दोनों पी गए मगर एक गिलास पीने के बाद मुझे लगा।
जैसे मेरे आस पास सब कुछ घूमने लगा हो। उसके बाद एक गिलास और पिया गया और मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगी बेशक हम दोनों बातें कर रहे थे मगर मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि हम क्या बात कर रहे हैं मुझे जो जितना भी समझ आ रहा था मैं निखिल भैया को जवाब दे रही थी।
फिर मुझे लगा जैसे मुझे पेशाब आ रहा हो मैं उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी तो टेबल से टकरा कर गिर पड़ी बीअर का नशा मुझ पर चढ़ चुका था निखिल भैया ने मुझे एकदम से संभाला और अपनी मजबूत मसकुलर बांहों का सहारा देकर बाथरूम तक ले गए।
मगर सिर्फ बाथरूम तक नहीं ले गए बल्कि मेरे साथ ही बाथरूम के अंदर आ गए मैंने कहा- भैया मुझे सुसू करना है वो बोले- अरे मुझे भी तो करना है दोनों भाई बहन साथ में ही कर लेते हैं और इससे पहले मैं कुछ कहती उन्होंने मेरी तरफ पीठ की और अपने निकर नीचे करके दीवार पर सुसू करने लगे।
मुझे बड़ी शर्म आई कि मेरा भाई जिसे आज तक मैं सिर्फ अपना भाई ही समझती थी मेरे सामने किस बेशर्मी से पेशाब कर रहा है मैं चुपचाप खड़ी उन्हें देखती रही मूतने के बाद निखिल भैया अपना लंड झटकते हुये मेरी तरफ घूमे और मुझे अपने लंड के दर्शन करवा कर अपनी निकर में डालते हुये बोले- अरे तू अभी भी ऐसी ही खड़ी चल जल्दी कर फारिग हो अभी तो 2 बीअर और पीनी हैं।
मैं सोच रही थी मैं कैसे निखिल भैया के सामने अपनी हाफ पैंट उतारूँ हाँ मगर ये ज़रूर कहूँगी कि निखिल भैया के गुलाबी टोपे वाला लंड देख कर मेरे जिस्म में सर से पाँव तक झुरझुरी से दौड़ गई थी और निखिल भैया ने भी मुझे उनके लंड को घूरते देख लिया था।
मैं अभी कश्मकश में थी कि निखिल भैया मेरे पास और मेरी हाफ पैंट पकड़ कर नीचे को खिसकाने लगे- चल उतार और मूत ले बड़े ही अधिकार से बोले वो जैसे रोज़ ही मुझे ऐसे ही मुतवाते हों मैं भी जानबूझ कर ढीठ बन कर खड़ी रही और निखिल भैया ने मेरी हाफ पैंट मेरे घुटनों तक नीचे सरका दी।
मेरी गोरी गुलाबी फुद्दी मेरे बड़े भाई के सामने नंगी हो गई मगर मुझे शर्म नहीं आई बल्कि उतेजना पैदा हुई निखिल भैया ने मेरी बाजू नीचे को खींच कर बैठाया और बैठते ही मेरा मूत निकल गया मैं मूत रही थी और निखिल भैया मेरी फुद्दी को घूर रहे थे कि कैसे लड़की की फुद्दी में से मूत की धार बाहर निकलती है।
जब मैं मूत कर हटी तो निखिल भैया ने मुझे खड़ा किया और खुद ही मेरी हाफ पैंट ऊपर सरका कर मुझे अपनी आगोश में लेकर बाहर ले आए बाहर सोफ़े पर बैठते ही उन्होंने एक एक गिलास और भर दिया और मुझे दिया मगर मेरी इच्छा अब बीअर पीने की नहीं बिस्तर पर लेटने की हो रही थी और शायद चुदने की भी।
मैं सोफ़े पर भी निढाल सी गिरी पड़ी थी निखिल भैया ने मुझे अपना सहारा दे कर उठाया मगर मैंने महसूस किया के वो सिर्फ मुझे सहारा नहीं दे रहे, बल्कि मुझे उठाते वक्त मेरा एक मम्मा बड़े अच्छे से अपने हाथ में पकड़े थे दिखा ऐसे रहे थे कि सहारा दे रहे हैं मगर पकड़ना मेरा मम्मा चाहते थे।
मैंने भी चुप्पी साध ली और जान बूझ कर थोड़ा और बेहोशी का, नशे का, बेख्याली का नाटक करने लगी निखिल भैया मुझे अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले गए और मुझे बेड पर लेटा दिया मैं अपनी आँखें बंद किए लेटी रही क्योंकि मैं भैया को पूरा मौका देना चाहती थी कि अगर वो मेरे साथ कुछ भी करना चाहें, तो कर लें।
मुझे लेटा कर भैया खुद भी मेरे साथ ही लेट गए और मेरे घुटने पर अपना हाथ रखा मैं न हिली डुली तो उन्होंने अपना हाथ नीचे को सरकाना शुरू किया और मेरी जांघ तक ले आए पता नहीं नशे में या मज़े में मेरे मुंह से ऊंह निकल गई भैया को लगा शायद मुझे मज़ा आया तो।
उन्होंने मेरे चेहरे से मेरी जुल्फ हटा कर अपना चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल पास लेकर आए उनकी गर्म साँसे मैं अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी वो बोले- ओह मेरी प्यारी सुहानी जानती हो मैं तुम्हें बहुत पहले से चाहता हूँ पर कभी ऐसा मौका नहीं मिला के मैं तुमसे अपने दिल की बात कह सकूँ।
आई लव यू मेरी प्यारी सुहानी! और अपने प्यार का पहला किस मैं तुम्हें करने जा रहा हूँ अगर तुम भी मुझे चाहती हो तो मुझे किस करने से मत रोकना बेशक मैं नशे में थी मगर बेहोश नहीं थी मैं वैसे ही लेटी रही और फिर निखिल भैया ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखे और मेरे नीचे वाले होंठ को अपने होंठों में लेकर चूसा।
मैंने भी थोड़ा सा आगे बढ़ कर उनको अपनी बाहों में भर लिया तो निखिल भैया ने मुझे अपनी आगोश में कस कर जकड़ लिया जैसे उन्हें मेरे साथ कुछ भी करने की खुल्ली छुट्टी मिल गई हो उन्होंने बड़े प्यार से मुझे चूसा मेरे दोनों होंठ चूसे मेरे गाल चूसे मेरी गर्दन कान कंधे सब जगह चूमा मेरे दोनों मम्मे पकड़ कर दबाये मेरे निप्पल मसले।
मैं सिर्फ नीचे लेटी आँखें बंद किए मज़े ले रही थी फिर निखिल भैये उठे और उन्होंने खींच कर मेरी टीशर्ट उतार दी मैं सिर्फ हाफ पैंट में उनके सामने थी मगर शायद इससे भी निखिल भैया का दिल नहीं भरा तो उन्होंने मेरी हाल पैंट भी उतार दी अपने फुफेरे भाई के सामने मैं बिल्कुल नंगी लेटी थी।
यहाँ आने से पहले अभी कल ही मैंने अपनी झांट वीट से साफ करी थी मेरी चिकनी फुद्दी को निखिल भैया ने अपने हाथ की उँगलियों से सहला कर देखा, फिर मेरे मम्मो को सहलाया- अरे वाह क्या बात है सुहानी तुम कितनी खूबसूरत हो गोरे दूध से मम्मे गुलाबी फुद्दी तुम ऊपर से तो सुंदर हो ही अंदर से तो और भी ज़्यादा हसीन हो।
मैंने कुछ नहीं कहा, सिर्फ अपने नशे का बहाना करके लेटी रही निखिल भैया ने मेरे दोनों मम्मे चूसे दबाये और फिर मेरी फुद्दी को चूमा, चाटा, काटा। मेरी जांघों को अपनी जीभ से चाट गए अपने दाँतों से काटा अपनी सख्त उँगलियों से नोचा।
शायद वो मेरे जिस्म से अपनी वासना की भूख मिटा रहे थे फिर उन्होंने खड़े होकर अपने कपड़े खोलने शुरू किए उनकी निक्कर में उनका तना हुआ लंड साफ झलक रहा था मैंने साफ देखा जब उन्होंने अपनी निकर उतारी तो 7 इंच का भूरा लंड जिसका टोपा सुर्ख गुलाबी था मेरे सामने पूरी अकड़ के साथ खड़ा था।
निखिल भैया ने बिना कोई टाइम बर्बाद किए अपना लंड अपनी बहन की फुद्दी पर रखा और अंदर धकेल दिया शायद वो मेरे जागने या मूड बदलने से पहले ही अपने मन की इच्छा पूर्ति कर लेना चाहते थे फुद्दी तो मेरी भी गीली हो चुकी थी और ऊपर से मैं पहले से ही चुदी हुई थी तो जैसे ही उन्होंने ज़ोर लगाया, उनका आधा लंड बड़े आराम से मेरे अंदर घुस गया।
निखिल भैया बड़े हैरान होकर बोले- अरे साली, तू तो चुदी हुई है और मुझे परेशानी हो रही थी कि पहली बार तो रो रो कर सारा घर सर पे उठा लेगी, मगर कमाल है तू तो साली बड़ी हरामी है, किस से चुदी बोल न कौन था वो खुशनसीब जिसने मेरी बहन की सील तोड़ी बोल न बहनचोद।
मैं बोलना तो चाहती थी मगर चुप ही रही और अगले दो धक्कों में निखिल भैया का पूरा लंड मेरी फुद्दी में घुस चुका था आह क्या संतुष्टि महसूस हुई मोटा तगड़ा मजबूत लंड जैसे पत्थर का बना हो और ऊपर से निखिल भैया का मजबूत कसरती बदन सीने पर हल्के हल्के बाल।
मैंने थोड़ी से आँखें खोली और निखिल भैया को देखा वो मुझे जागी देख कर थोड़ा चौंक गए मगर चुदाई बंद नहीं करी वो बोले- यार सुहानी बुरा मत मानना कुछ मौसम का तक़ाज़ा था और कुछ माहौल ऐसा बन गया मैं खुद को रोक नहीं पाया मैंने कहा- कोई बात नहीं भैया मेरा भी दिल मचल रहा था।
मैंने ये कहा तो निखिल भैया और जोश में आ गए अब तो मैंने भी अपनी पूरी आँखें खोल दी मगर नशा मेरे सर पे चढ़ा हुआ था जिस वजह से मुझे बार बार नींद के झौंके आ रहे थे मुझे नहीं पता चला कि मैं कब सो गई और सोते हुये भी मुझे निखिल भैया ने कितनी बार चोदा।
सुबह उठी तो निखिल भैया किचन से चाय बना कर लाये अब मेरा नशा बिल्कुल उतर चुका था मैंने बिस्तर की चादर से खुद को ढकना चाहा तो भैया बोले- अरे अब शर्मा रही है सारी रात तो मेरे साथ नंगी लेटी रही मैं सच में शर्मा गई और अपना मुंह छुपा लिया।
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निखिल भैया ने चाय साइड पर रखी और मेरे दोनों हाथ मेरे चेहरे से हटा कर बोले- अब जो हो गया सो हो गया यार अब हम दोनों दोस्त हैं बॉय फ्रेंड गर्ल फ्रेंड हैं ठीक है रात मैंने तीन बार तेरे साथ सेक्स किया पर वो मज़ा नहीं आया क्योंकि उसमें तेरा कोई साथ नहीं था।
मैं चाहता हूँ अबकी बार जो हम करें तो तुम भी मेरा पूरा साथ दो मैंने कहा- ओके पर पहले फ्रेश तो हो लूँ मैं उठ कर बाथरूम में गई बिना किसी शर्म के अपने भाई के सामने ही नंगी चल कर बाथरूम में गई सुसू किया कुल्ला किया मुंह धोया और फ्रेश हो कर बाहर आई।
और फिर बिना किसी भी शर्म के अपने निखिल भैया के सामने नंगी ही बैठ गई हाँ अपनी गोद में एक सिरहाना रख लिया मगर ऊपर से मैं नंगी ही थी और वो मेरे मम्मे साफ साफ देख सकते थे हमने ऐसे ही चाय पी उसके बाद हम दोनों एक साथ नहाये फिर तैयार हो कर बाज़ार गए और नाश्ते का समान लेकर आए साथ में नाश्ता बनाया और खाया।
करीब दस बजे हम फ्री हुये तो निखिल भैया बोले- सुहानी अब हम फ्री हैं मम्मी पापा शाम तक आएंगे क्यों न उनके आने से पहले हम अपने इस अकेलेपन का भरपूर मज़ा उठा लें मैं मुस्कुरा दी तो उन्होंने आकर मुझे बांहों में भर लिया और गोद में उठा कर बेड पर ले गए।
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