बॉयफ्रेंड से चुदकर माँ बनी-Hindi Sex Story
- By : Tharki
- Category : Hindi Sex Story
दोस्त sexstoryinhindi.in कहानी में पढ़ें कि जब मुझे पति से ना सेक्स का मजा मिला, ना सन्तान सुख तो मेरी नजदीकियां अपने एक कुलीग से बढ़ती गयी. उसी से मुझे ये दोनों सुख मिले।
मैं एक मिडल क्लास फैमिली से हूँ और मेरे हज़्बेंड सरकारी बैंक में जॉब करते हैं मैं भी होटल मैनेजमेंट से शिक्षित हूँ और एक होटल में रिसेप्शनिस्ट का जॉब करती हूँ। यह एकदम सच है जो मेरे ज़िंदगी की कामुक आहों और कराहों का एक हिस्सा है।
मेरी शादी को 5 साल हो गए थे लेकिन मैं अब तक बच्चे से महरूम थी किसी वजह से मुझे गर्भ ठहर ही नहीं पा रहा था। मेरी ससुराल नागपुर है मैं और मेरे हज़्बेंड हैदराबाद में जॉब करते हैं।
मैं अपने पति योगेश से खुश नहीं थी वो मेरे साथ सही से सेक्स नहीं कर पाते थे और मैं बिस्तर में अपने पति से असंतुष्ट थी।
वो मेरे चरम पर आने से पहले ही झड़ जाते थे फिर उनका लंड एकदम मरे हुए चूहे की तरह मुर्दा सा हो जाता था, सब मज़ा किरकिरा हो जाता था।
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मुझे अपनी चूत में एक मजबूत सरिया सा लंड चाहिए था जो मेरी चूत की लंबी चुदाई कर सके और मुझे पूर्ण संतुष्ट कर सके।
चुदाई की समस्या के अलावा मुझे बच्चा नहीं हो रहा था तो मैंने और योगेश ने एक फर्टिलिटी क्लिनिक में अपना टेस्ट करवाया।
जांच से पता चला कि योगेश को लंड खड़ा करने में और देर तक चुदाई करने में समस्या है जिस वजह से उनका वीर्य मेरी चूत के रस से मिल नहीं पाता है और इसी वजह से गर्भ नहीं ठहर रहा है।
उनके वीर्य में बच्चा पैदा करने वाले शुक्राणु भी बहुत कम हैं इसका इलाज भी होने लगा पर नतीजा बेमतलब रहा।
मैंने समझ लिया कि मुझे योगेश के वीर्य से बच्चा नहीं ठहर सकता था किसी वजह से मैंने योगेश को क्लिनिक की फाइनल रिपोर्ट नहीं दिखाई।
उसके बाद क्या हुआ, मैंने बच्चा कैसे पाया, वो सब मैं आज आपको बता रही हूँ मेरे हज़्बेंड और ससुराल वाले मुझे इस बच्चा पैदा ना करने के कारण भला बुरा कहने लगे और मुझे ही कसूरवार ठहराने लगे वो सब मुझे गालियां देते और कहते तू बांझ है, वगैरह वगैरह।
इसी बीच मेरे हज़्बेंड की पोस्टिंग करीमनगर हो गयी जो हैदराबाद से 300 किलोमीटर की दूरी पर है वो वहां शिफ्ट हो गए। अब वो हफ्ते में एक बार शनिवार शाम को आते और रविबार शाम को चले जाते बाकी दिन मैं यहां अकेली रहती।
यहां हमारा एक किराए का फ्लैट है मेरे पति हैदराबाद वापस तबादले के लिए कोशिश कर रहे थे दो साल बाद उन्हें अपना तबादला वापस हैदराबाद इसलिए मिला क्योंकि मैं हैदराबाद में निजी क्षेत्र में जॉब करती थी और मैं उनकी बीवी थी।
हमारे होटल में स्टाफ में मैनेजर के पद पर रियाज़ काम करते थे उनकी भी लाइफ में बहुत समस्याएं थीं।
उनकी वाइफ की बच्चेदानी में कोई दिक्कत थी और वो भी बच्चा पैदा करने में असक्षम थी
इसी वजह से रियाज़ अपनी बीवी से हमेशा नाखुश रहते थे।
एक ही जगह काम करने से और एक सी समस्या से जूझने के कारण मेरी और रियाज़ की नज़दीकियां बढ़ती गईं।
फिर एक समय आया, जब हम दोनों अपनी सारे दुःखदर्द, सुख दुख एक दूसरे से साझा करने लगे अपनी निजी जिन्दगी की हर छोटी बड़ी बात हमारी बातचीत का अहम हिस्सा होने लगी।
हम दोनों एक अनजानी डोर में बंधते चले गए हमारी दोस्ती मजबूत होती चली गयी. हम दोनों एक दूसरे के काफी करीब आते गए।
हम दोनों ने इस रिश्ते की खबर को अभी तक दुनिया की नजरों से छुपाए रखा हुआ था। रियाज़ हर शाम को मेरे साथ होता, काफ़ी बातें होतीं बस कुछ दिल में होतीं, पर जुबान पर आ जातीं।
मगर असली बात सामने नहीं आ पा रही थी दोनों के मन में कुछ न कुछ ऊहापोह की स्थिति थी।
मगर अन्दर ही अन्दर हम दोनों के एक तड़प, एक चाहत थी जो हम दोनों की ज़रूरत बन चुकी थे हम दोनों को ही लगने लगा था कि शायद हम एक दूसरे के लिए बने थे।
कोई सबब नहीं बन पा रहा था जिससे हम दोनों के बीच बनी ये रुकावट खत्म हो सके। इसी बीच उसकी बीवी एक महीने के लिए अपने मायके गयी हुई थी। रियाज़ तब ज़्यादातर समय मेरे साथ गुजारने लगा था।
हम दोनों अपने जॉब से फ्री होकर शॉपिंग करते, सिनेमा देखते, कभी रात का डिनर बाहर किसी रेस्तरां में करते।
कभी कभी रात का खाना मेरे फ्लैट में ही होता लेकिन रात में वो जब अपने फ्लैट में जाता, मैं तड़पती रह जाती पर उसे रुकने के लिए नहीं कह पाती थी।
उसकी बीवी के मायके जाने के बाद हम दोनों को ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा वो जुलाई का महीना था।
रियाज़ रोज की तरह आज भी होटल से छुट्टी के बाद मुझे अपने बाइक से घर तक ड्रॉप करने आया। मैंने उसे फ्लैट पर चलकर चाय पीने के लिए कहा वो सहज ही मान गया और मेरे साथ मेरे फ्लैट में आ गया।
मैंने अपने कपड़े बदले और चाय बना कर ले आई हम दोनों चाय की चुस्कियों के दौरान बातें करते रहे।
उस दिन रियाज़ को घर जाने की जल्दी नहीं थी इसलिए हम दोनों ही बेफिक्र थे और हमारी गपशप को काफी देर हो चुकी थी।
वही सब निजी बातें होने लगी थीं रियाज़ पूछ रहा था कि मुझे बच्चा क्यों नहीं हुआ? हज़्बेंड योगेश कैसे हैं? मैं पूछ रही थी कि उसकी बीवी में क्या कमियां हैं. रियाज़ अपनी बीवी से खुश क्यों नहीं है?
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ये सब बातें करते करते रात के 12 बज गए थे। अगले दिन होटल के जॉब शिड्युल के चलते उसकी छुट्टी थी
हमारे होटल में कर्मचारियों को कुछ इस तरह से नियमित किया गया था कि सभी को हफ्ते में एक दिन की छुट्टी रहती थी और रियाज़ को दूसरे दिन रविवार न होने के बावजूद भी छुट्टी मिली थी मगर मेरी नहीं थी।
क्योंकि मेरे पति को रविवार की छुट्टी मिलती थी तो मैंने अपने लिए रविवार की छुट्टी को ही प्राथमिकता दी थी।
उस दिन मैंने मन बना लिया था कि कल मैं जॉब पर नहीं जाऊंगी खैर हमारे बीच बातों का लम्बा दौर जारी था तभी बाहर आंधी तूफान और बारिश होने लगी।
रियाज़ ने कहा- अब मुझे जाना चाहिए मैंने कहा- नहीं, बाहर आंधी तूफान चल रही है. आज तुम यहीं रुक जाओ।
रियाज़ ने कहा- नहीं यार, बात समझो. हम दोनों एक दूसरे के दिल में रहते हैं ये बात यहीं तक ठीक है रात में मैं तुम्हारे साथ यहां रहा, तो गड़बड़ हो जाएगी वैसे भी मैं तुम्हारे हुस्न पर फिदा हूँ वैसे ही तुम्हारे कारण मेरी हालत खराब रहती है तुम मेरे ख्वाबों में रोज आती हो और मैं अकेले में भी अपने आप को नहीं संभाल पाता हूँ बीवी साथ में ना हो, तो बिस्तर में या बाथरूम मुझे खुद को गिरा कर ठंडा करना पड़ता है।
मुझे उसकी इतनी खुली बात के बाद भी ये कहते नहीं बन रहा था कि तुम मुझे चोद दो
मैं उसकी तरफ से ही पहल होने का इन्तजार कर रही थी।
उसकी बात से मैं खिलखिला कर उसके सामने अपनी बेतकल्लुफी जाहिर की और वो भी बस मेरी इस बेतकल्लुफी से भरे ठहाकों को देखता रहा।
उस वक्त मेरी नजरें उसकी नजरों से मिली हुई थीं हमारे बीच एक अजीब सी कश्मकश थी लेकिन हमारी जुबान नहीं हिल रही थी।
वो मुझसे जाने की कहते हुए चला गया मैं बेबस कसमसाती रही और उसका साथ पाने की बेचैनी से खुद को दो चार करती रही।
रियाज़ के जाने के बाद मैं बुत बनी बैठी रही न ही उठ कर दरवाजे बंद करने की कोशिश की और न ही रियाज़ को अपने ख्यालों से निकाल पाई।
करीब 20 मिनट बाद मैंने उठकर दरवाजा बंद किया और बुझे मन से वापस सोफे पर बैठ गई।
उसी वक्त रियाज़ वापस आ गया उसने डोरबेल बजाई मैं समझ गयी कि रियाज़ अब मेरे सपनों का राजा बनने आ चुका है वो ऐसे नहीं जा सकता है।
फिर मन ने कहा कि पहले देख तो कौन आया है मगर मैं मानने को तैयार ही न थी कि ये रियाज़ की जगह कोई और हो सकता है।
घंटी के बजते ही मैं मुदित भाव से उठी और जाकर तुरंत दरवाजा खोल दिया। आह मेरे सामने मेरी चाहत बन चुका रियाज़ भीगा हुआ खड़ा था।
तेज हवाएं चल रही थीं जो बिल्डिंग की ओपन गैलरी से तेज चलती हुई थपेड़े बरसा रही थीं
बाहर बारिश बहुत तेज हो रही थी।
रियाज़ बीच रास्ते से ही पानी में लथपथ होकर वापस आ गया था। मैंने उसके साथ बेहद अपनापन जताते हुए उसे अन्दर खींचा और कहा- रियाज़, मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि मत जाओ मगर तुम मेरी सुनते कहां हो ना तो अपना ख्याल रखते हो ना ही तुम्हें मेरी कोई फ़िक्र है. चलो अब जल्दी से अन्दर आओ और अपने कपड़े उतारो मैं इन्हें वॉशिंग मशीन में डाल देती हूँ।
रियाज़ मेरी तरफ मुस्कुरा कर देख रहा था मगर वो चुप था मैंने रियाज़ को अन्दर लिया और बाथरूम के पास खींचती हुई ले गई, उधर टंगा तौलिया मैंने उसे पकड़ा दिया।
लो अब जल्दी से अपने जिस्म को पौंछ लो और कपड़े उतार कर मुझे दे दो रियाज़ ने अंडरवियर छोड़ कर अपने सारे भीगे हुए कपड़े उतार दिए।
मैंने उसके मर्दाना जिस्म को ऊपर से नीचे तक निहारा और कहा- अंडरवियर नहीं भीगी है क्या?
उसने मेरी नजरों को पढ़ते हुए बड़े ही मादक अंदाज में कहा- मेरा सब कुछ भीग गया है जान. लो आज इसे भी उतार ही देता हूँ. तुम वॉशिंग मशीन में डाल दो।
ये कहते हुए वो आदमजात नंगा हो गया उसका मस्त झूमता हुआ लंड मेरी आंखों की प्यास को बढ़ाने लगा था। रियाज़ का लंड खड़ा हो चुका था उसने उसी पल अपनी कमर पर तौलिया बांध ली।
उतनी देर में उसका भूरा लंड, गुलाबी सुपारा मुझे अन्दर तक गीला कर चुका था अब तौलिया के बाहर से ही उसका मूसल मेरी कामुकता को बढ़ा रहा था उसने भी अपने लंड को बैठाने की कोई कोशिश नहीं की।
मैं भी बस देखती रह गयी रियाज़ सोफे पर बैठ गया तभी बिजली चली गयी मैंने खिड़की दरवाजे सब अच्छे से बंद किए, पर्दे ठीक से लगा दिए, सारे स्विच बंद कर दिए अब बस एक एलईडी टॉर्च की रोशनी ही कमरे में रह गई थी।
रियाज़ ने मुझे अपने लंड की तरफ घूरते देखा तो उसने कहा- जान क्या हुआ है तुम्हें? प्लीज़ आओ और मेरे पास बैठो, मेरी बगल में बैठो. मुझे पता है, तुम्हें क्या हुआ है और क्या होना चाहिए था जान साफ़ बताओ तुम्हें मुझसे क्या चाहिए?
मैं रियाज़ के साथ सोफे पर बैठ गयी रियाज़ ने कहा- आज तुमने जो देखा वो कैसा लगा?
मैंने खुल कर कहा- रियाज़ तुम्हारा लंड एकदम मस्त कड़क, प्यारा सा है मुझे बहुत पसंद आया है।
वो बोला- तो क्या मूड है? मैं एक सांस में कहती चली गई- चलो आज हम दोनों सेक्स कर ही लेते हैं तुमने मुझे बहुत तड़फाया है आज मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगी रियाज़ बहुत चुदवाऊंगी तुमसे, तुम्हारे प्यारे लंड से जीभर के खेलूंगी।
उसने मुझे अपने बाहुपाश में भर लिया हम दोनों के होंठ पहली बार एक दूसरे जुड़ गए थे, एक असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी थी।
कुछ ही पल बाद मैं और रियाज़ मेरे बेडरूम में बिस्तर में आ गए थे रियाज़ ने अपनी तौलिया उतार दी और मुझसे कहा- जानेमन अपने कपड़े भी उतार दो मैं तुम्हारी मुराद पूरी करूंगा. तुम्हारी चूत की प्यास मेरे अलावा कोई और नहीं मिटा सकता।
रियाज़ ने पास रखी टॉर्च उठाई और अपने लंड पर मोबाइल की टॉर्च की रोशनी मारकर कहा- देखो मेरा लंड तुम्हारी चूत का प्यासा, कैसा फनफना रहा है मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए।
रियाज़ ने मेरी चूत में टॉर्च की रोशनी मारी और कहा- माशाल्ला. बड़ा मस्त छेद है एकदम गुलाबी होंठों वाला बड़ा ही अच्छा छेद है जानेमन।
मैंने चूत खोलते हुए कहा- हां तुम्हारे लिए ही है मेरी जान मैं तुम्हारे लिए तड़प रही हूँ आज की रात तुम प्लीज़ मेरी सारी प्यास मिटा दो।
रियाज़ ने कहा- जानेमन, तुम मेरे ख्वाबों में रोज चुदवाती हो. आज मेरा ख्वाब हकीकत हो रहा है।
इतने दिनों से तुमने मुझे कम परेशान नहीं किया तुम बोल तो सकती थी मैं तो हर वक्त तैयार था। ये कहते हुए, रियाज़ ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया कुछ देर बाद हम दोनों अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चले।
उसने मेरी टांगों के बीच में आकर मेरी चूत फैला दी और अपनी जुबान चूत की दरार में ऊपर से नीचे तक फेर दी।
आंह इसी मदभरे अहसास के लिए मैं न जाने कब से मर रही थी उसने चूत में जीभ लगाई और अन्दर तक जीभ घुसेड़ कर चाटने लगा मैं रुक ही न सकी और भलभला कर झड़ने लगी।
उसने मेरी चूत के रस का कतरा कतरा चाट लिया और चूत चाट कर साफ़ कर दी।
फिर वो एकदम से मेरे ऊपर स्प्रिंग की तरह कूद कर चढ़ा और अपना प्यारा गुलाबी सुपारे वाला लंड, मेरी गुलाबी चूत के सुराख में टिका दिया।
मैं अभी संभल पाती कि उसने ज़ोर लगा कर धक्का दे मारा उसका लंड किसी भाले की तरह चूत के अन्दर घुस गया।
मैं अब तक कामुक सिसकारियां ले रही थीं मगर उसके लंड के प्रहार होते ही मैं एकदम से चिल्ला उठी- आआह मर गई रियाज़ आआह रियाज़ मर गई मैं आह धीरे! वो रुका ही नहीं, बस मेरी चूत को चीरता चला गया।
कुछ पलों के भीषण दर्द के बाद मुझे कुछ राहत सी मिलने लगी मैंने उसे अपनी बांहों में समेट लिया और उसे चूमते हुए कहने लगी- आह लव मी मेरी जान मैं अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।
रियाज़ के कहा- अब मुझे चोदने दो मस्त चूत है तेरी आआह जानेमन अब तो मैं तुम्हें रोज पेलूंगा मेरी वाइफ बन जाओ मेरे बच्चे की अम्मी बन जाओ मैंने सर हिला कर हां कह दिया।
अब रियाज़ मेरी चूत पर पिल पड़ा उसने मुझे आधा घंटा तक ज़बरदस्त चोदा उसकी चुदाई में तीन बार झड़ गई थी, तब जाकर वो मेरी चूत में झड़ा।
सच में जिन्दगी में पहली बार चुदाई का सच्चा सुख मिला था अब रोज रात को वो मेरे साथ सोता, मेरे बिस्तर पर मुझे चोदता।
जब तक उसकी बीवी नहीं आ गई, तब तक उसने रोजाना मेरी कई कई बार चुदाई की
उसके लंड का गर्मागर्म माल मेरी बुर को सींचता।
ये चुदाई का सिलसिला 3 हफ्ते तक चलता रहा उस महीने मुझे एमसी नहीं हुई थी।
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मैंने अपने पति से कहा कि अपने घर वालों से कह दो कि मैं पेट से हूँ मेरे पतिदेव ने मुझे खुश होकर देखा और मुझे क्लिनिक लेकर गए।
डॉक्टर ने चैक किया और प्रेग्नेंट होने की बता कही फिर हमने और भी टेस्ट करवाए
कुछ महीने बाद अल्ट्रासाउंड में मेरी कोख में जुड़वां बच्चे दिखे मैंने हॉस्पिटल वालों से उस रिपोर्ट को गोपनीय रखने की बात कही तो डॉक्टर ने भी एक बच्चे होने की बात कही।
फिर मेरी डलिवरी हुई, मुझे 2 लड़के हुए एक को रियाज़ ने गोद ले लिया ये खबर किसी को पता नहीं चली।
मेरे बेटे का नाम मैंने समीर रखा और रियाज़ ने बेटे का नाम शमीम रखा अब मेरे दोनों बेटे 5 साल के हो गए हैं रियाज़ की बीवी भी मेरे बेटे को अपने बच्चे के जैसे परवरिश कर रही।
दोनों बच्चे स्वस्थ हैं, इंटेलिजेंट हैं और अच्छे हैं दोनों परिवार एकदम खुश हैं।
ये चुदाई राज़ मेरे और रियाज़ के बीच हमेशा हमेशा के लिए बना हुआ है ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।
दोस्तो, मेरी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करें।
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