पापा और मम्मी चाहते थे कि मैं शादी कर लूं लेकिन मैं निशा को पसंद करता हूं। निशा हमारी कॉलोनी में ही रहती है और मुझे वह बहुत ज्यादा पसंद है परंतु मैंने कभी भी निशा से ज्यादा बात ही नहीं की। हम लोगों का परिचय एक दूसरे से तो है लेकिन हम दोनों एक दूसरे को कभी अपने दिल की बात नहीं कह पाए थे शायद यही वजह थी कि मैं किसी और से शादी नहीं करना चाहता था। मैं निशा को बहुत पसंद करता हूं निशा जब भी शाम के वक्त अपने ऑफिस से लौटा करती तो मैं उसे हमेशा ही देखा करता था। वह भी जब मुझे देखती तो उसे भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता था और मुझे भी निशा को देखकर काफी अच्छा लगता। समय के साथ अब मुझे भी लगने लगा था कि मुझे निशा से अपने दिल की बात कह देनी चाहिए लेकिन निशा का परिवार अब हमारे पड़ोस से अपनी प्रॉपर्टी बेचकर दूसरी जगह रहने वाले थे। जब मुझे इस बारे में पता चला तो मुझे काफी बुरा लगा लेकिन अब समय निकल चुका था और मैं चाहता था कि निशा से मैं एक दिन अपने दिल की बात कह दूं।
एक दिन मुझे वह मौका मिल ही गया जब निशा से मैंने अपने दिल की बात कह दी उस वक्त मैं निशा से पार्क में मिला था। उस दिन मैं जल्दी उठ गया था और मैं टहलने के लिए पार्क में चला गया। मैं टहलने के लिए पार्क में गया तो वहां पर मेरी मुलाकात निशा से हुई और मैं इस मौके को बिल्कुल भी छोड़ना नहीं चाहता था। मैं चाहता था कि मैं निशा से अब अपने दिल की बात कह डालूंगा और मैंने उस दिन निशा से बात की। ना जाने उस दिन मेरे अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई और मैंने निशा को अपने दिल की बात कह दी। जब मैंने निशा से अपने दिल की बात कही तो उसने मुझसे कुछ नहीं कहा और वह वहां से चली गई। मुझे भी लगा कि शायद यह मेरी तरफ से ही था इसलिए मैं भी इस बात को भूलने लगा था। निशा की फैमिली भी अब हमारे पड़ोस में नहीं रहती है और काफी लंबे अरसे तक मेरी निशा के साथ कोई भी बात नहीं हुई। ना तो मैं निशा से मिल पाया था और ना ही निशा मुझसे मिली थी मैंने सोचा कि शायद अब मुझे निशा को भूल ही जाना चाहिए और मैंने उसे भूल कर अब आगे बढ़ने का फैसला कर लिया था।
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मैं अपनी नौकरी में पूरी तरीके से ध्यान दे रहा था और मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक से चल रहा था। पापा भी अब रिटायर होने वाले थे और वह चाहते थे कि वह अपने रिटायरमेंट की पार्टी रखे इसलिए उन्होंने मुझे सारी जिम्मेदारी सौंपते हुए कहा कि बेटा तुम्हें ही सब कुछ संभालना है। मैंने पार्टी का सारा अरेंजमेंट खुद ही किया पार्टी का अरेंजमेंट हो चुका था और हमारे काफी रिश्तेदार भी उस पार्टी में आए हुए थे। पापा भी बहुत ज्यादा खुश थे जिस तरीके से हम लोगों ने पार्टी का अरेंजमेंट किया था उससे पापा बड़े ही खुश थे। पापा अपने रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर समय घर पर ही रहा करते थे और मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता जब भी मैं अपनी फैमिली के साथ में होता हूं। एक दिन हम लोगों ने साथ में घूमने का फैसला किया और उस दिन पापा और मम्मी के साथ मैं शॉपिंग करने के लिए चला गया। पापा ने मुझसे कहा था कि बेटा आज हम लोग कहीं शॉपिंग करने के लिए चलते हैं तो मैं उस दिन पापा मम्मी के साथ गया और इत्तेफाकन उस दिन मेरी मुलाकात निशा के साथ में हो गई।
जब मेरी मुलाकात निशा से हुई तो मेरी उससे ज्यादा बात नहीं हुई और वह वहां से चली गई लेकिन मैं निशा के बारे में सोच रहा था और उस रात मेरी आंखों से नींद गायब थी। मैं यही सोच रहा था कि क्या उस दिन मैंने यह सही किया मुझे निशा को अपने दिल की बात कहनी चाहिए थी या नहीं। यह मेरे दिमाग में घूम रहा था और मुझे उस रात नींद ही नहीं आ रही थी मैं बहुत ही ज्यादा परेशान था। जिस तरीके से मैं और निशा एक दूसरे को मिले थे उससे मैं बहुत ही ज्यादा परेशान हो गया था। अगले दिन मुझे अपने ऑफिस भी जाना था और मैं सुबह जल्दी तैयार होकर नाश्ता कर के अपने ऑफिस के लिए निकल गया। जब मैं ऑफिस के लिए गया तो उस दिन मुझे बहुत ही ज्यादा काम था और मैं ऑफिस में ही था। जब मैं ऑफिस से उस दिन घर के लिए लौट रहा था तो मुझे रास्ते में निशा मिली और निशा ने मुझसे बात की।
मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि उससे मेरी बात हो भी पाएगी या नहीं लेकिन मेरे लिए यह उस वक्त किसी भी खुशी से कम नहीं था। मैंने निशा से बात की और निशा मेरे साथ में कुछ समय बिताना चाहती थी हम दोनों कॉफी शॉप में चले गए और वहां पर हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे से बातें की। हालांकि निशा ने हीं मुझसे उस दिन के बारे में कोई भी बात नहीं की और हम दोनों करीब दो घंटे तक साथ में रहे और फिर निशा वहां से चली गई। निशा वहां से तो जा चुकी थी लेकिन मुझे इस बात की खुशी थी कि मैंने निशा से अपने दिल की बात कह दी थी और मैं बहुत ही ज्यादा खुश था। समय के साथ-साथ अब हम दोनों एक दूसरे के बहुत ज्यादा करीब आते जा रहे थे और हम दोनों एक दूसरे को बहुत चाहने लगे थे। यही वजह थी कि निशा और मैं एक दूसरे से प्यार करने लगे थे और हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे।
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जब भी मुझे निशा की जरूरत होती तो वह हमेशा ही मेरे साथ खड़ी नजर आती और मुझे भी इस बात की बहुत ज्यादा खुशी थी कि निशा मुझे बहुत ज्यादा प्यार करती है। हम दोनों का प्यार दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा था और मेरे लिए यह बड़ी खुशी की बात थी जिस तरीके से निशा और मैं एक दूसरे को प्यार करते हैं और एक दूसरे के साथ में हम दोनों समय बिताते हैं। मैं इस बात से बड़ा ही खुश था और निशा भी बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हम दोनों ने एक दूसरे के साथ में समय बिताया था और एक दूसरे को हम लोग बहुत ही अच्छी तरीके से समझने लगे थे। निशा और मेरा रिलेशन अच्छे से चल रहा था। हम दोनों अब सेक्स के लिए तडपने लगे थे। जब पहली बार हमारे बीच सेक्स हुआ तो मैं काफी ज्यादा खुश था और निशा को भी मेरे साथ सेक्स करने मैं बहुत ही मजा आया था। मैने निशा को अपने घर पर बुलाया था वह घर पर आ गई थी। हम दोनो की रजामंदी से हमारे बीच सेक्स हुआ था। हम। दोनो साथ मे थे। हम दोनो साथ मे लेटे थे। मैं निशा से चिपकने लगा था।
मेरा हाथ जब निशा के स्तनों पर लगने लगा मै गरम होने लगा था वह भी गरम होने लगी थी। मैं निशा के स्तनों को दबाने लगा था मुझे बहुत ही मजा आने लगा था जब मै उसके स्तनो को दबाता। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ खूब जमकर मजा लेने के बारे में सोच लिया था। मैं उसके होठों को चूम रहा था और मुझे आशा के गुलाबी होंठों का रसपान कर के मजा आ रहा था। निशा को भी मजा आने लगा था और मुझे भी मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरे होठों को चूम रही थी।
मैंने अब उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो निशा भी गरम हो गई और वह अपने कपड़े उतारने लगी थी। वह अब अपने कपड़े उतार चुकी थी मैंने उसकी ब्रा खोली और उसके गोरे स्तनों की तरफ देखा मैं अपने आपको रोक नहीं सका मैं उसके स्तनों का रसपान करने लगा था। मैं उसके निप्पल को जिस तरह से चूस रहा था उससे वह मुझे कहने लगी तुम ऐसे ही मेरे स्तनो को चूसते रहो। मैं उसके गोरे हो स्तनों को चूमता जा रहा था और उसकी चूत से पानी निकलता जा रहा था उसको बड़ा मजा आने लगा था। अब मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी और अपने पैरो को आपस मे मिलाने लगी थी।
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मैंने निशा की जींस को नीचे उतारने का फैसला किया और उसकी जींस को नीचे उतार फेंका। जब मैंने उसकी पैंटी को नीचे उतारा तो मुझे उसकी गोरी चूत दिख अच्छा लग रहा था उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसकी गोरी चूत देख मेरा मन उसकी चूत चाटने का हुआ और मै उसकी चूत को चाटने लगा था। उकाफी देर तक उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने उसकी योनि में लंड को लगाया और उसकी चूत के अंदर लंड को डालने लगा। उसकी टाइट चूत मे मेरा लंड जा ही नहीं रहा था मैंने अब उसके दोनो पैरों को खोल लिया था। मैंने जब उसके पैरों को खोल तो मेरा लंड निशा की चूत मे जाने लगा था अब मैंने उसे चोदना शुरु कर दिया था वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक चला गया था।
मुझे मजा आने लगा था अब हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स के मजे लेने लगे थे और निशा की योनि से खून निकल रहा था। मुझे उसे चोदने में मजा आ रहा था। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स किया। काफी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स के मजे लिए जब मेरा वीर्य पतन निशा की चूत मे हो गया तो हमने कपड़े पहन लिए। फिर हम दोनो लेटे रहे और बाते करने लगे थे मुझे निशा की चूत का मजा लेकर अच्छा लगा। वह मुझे कहने लगी कही कुछ होगा तो नहीं। मैने उसे कहा कुछ नही होगा तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं है। अब वह भी खुश थी और मै भी खुश था। निशा ने मुझे कहा मै चलती हूं उसके बाद वह चली गई थी। हम दोनो के बीच अक्सर सेक्स संबध बन ही जाता है और वह भी बडी खुश है जिस तरह हमारे बीच सेक्स संबध बनते है।
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