चाची की सहेली की चूत फाड़ी-Hindi Desi Chudai
- By : Tharki
- Category : Hindi Desi Chudai
मेरा नाम दीपक है। मैं जयपुर , राजस्थान का रहने वाला हूँ। मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है। लड़की किसी भी उम्र की क्यों ना हो। मैं चूत चाटने में एक्सपर्ट भी हूँ।
यह बात आज से कुछ महीनों पहले की है। एक दिन मेरी चाची ने मुझे शाम को कॉल किया और बोला- मेरी बेस्ट फ्रेंड की बेटी की शादी है और आज मेहंदी की रस्म है। तुम्हारे चाचा आज बाहर जा रहे हैं। क्या तुम मेरे साथ चलोगे प्लीज़ क्योंकि शादी में जाने के लिए कोई और नहीं है।
मैं तैयार हो गया और शाम को अपनी बाइक पर चाची के घर पहुँच गया। कुछ देर बाद मैं चाची को लेकर निकल पड़ा और कुछ देर बाद हम पहुँच गए।
वहाँ पहुँचने पर चाची की बेस्ट फ्रेंड ने हमारा वेलकम किया। उनके साथ एक आंटी और थीं। जो बहुत टाइट कपड़ों में अपने मम्मों को तान कर हम से मिलीं।
सच में यार उनके बहुत बड़े-बड़े चूचे थे। जब वो पलटीं तो उनकी गांड बाप रे बाप बहुत ही मस्त थी। बहुत ज़्यादा बाहर को निकली हुई थी।
मैंने चाची से पूछा- ये कौन हैं? वो बोलीं- ये शिला आंटी हैं। मैं बार-बार उनको ही देख रहा था, वो भी मुझे नोटिस कर चुकी थीं।
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फिर शिला आंटी मेरे पास आईं और हम दोनों बात करने लगे। जब मैंने उनसे बात कर रहा था। तब भी मैं उनके बड़े-बड़े मम्मों को ही देख रहा था।
फिर हमें आंटी ने आवाज़ देकर बुलाया क्योंकि दुल्हन की मेहंदी दिखाई जा रही थी, सब एक के पीछे एक खड़े होकर देख रहे थे।
मैं शिला आंटी के पीछे खड़ा था और उनकी बाहर निकली हुई गांड देख कर मेरा दिल मचलने लगा। मैंने सोचा क्यों ना चान्स मारा जाए। मैंने अपना लंड जोकि आधा खड़ा था, को आंटी की गांड पर टच कर दिया।
वो लंड की नोक फील करके झट से पीछे पलट कर देखने लगीं। मैं डर गया लेकिन शिला आंटी मुझे एक नॉटी स्माइल देकर फिर आगे देखने लगीं।
मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चुका था। अब मैं और आगे होकर लंड को गांड पर घिसने लगा। आंटी भी अपनी गांड पीछे करके मेरे लंड को प्रेस करने लगीं।
मैंने इधर-उधर देखा हमें कोई नहीं देख रहा था। मैंने अब अपना एक हाथ आंटी की गांड पर रख कर आगे झुक कर देखने लगा, धीरे धीरे गांड सहलाने लगा।
फिर सब वहाँ से हटने लगे और मैं थोड़ा दूर हट कर खड़ा हो गया। शिला आंटी मेरे पास आईं और मुस्कुराते हुए बोलीं- मज़ा आया?
मैं बोला- अभी कहाँ मज़ा आया। वो बोलीं- जब रात मे सब सो जाएँगे तो पीछे स्टोर रूम में आ जाना।
मैं तो बहुत खुश हो गया और सबके सोने का वेट करने लगा। फिर रात के 2 बजे मैं छुपते हुए स्टोर रूम में गया और बैठ आर आंटी का इन्तजार करने लगा।
कोई आधे घंटे बाद शिला आंटी अन्दर आईं। वाह आंटी रेड नाइटी में बहुत सेक्सी माल लग रही थीं।
मैंने झट से आंटी को हग कर लिया और अपने लिप्स उनके लिप्स पर रख कर उन्हें फ़्रेच किस करने लगा। मैं एक हाथ से आंटी के मम्मों को और दूसरे हाथ से उनकी गांड को दबाने लगा। वो सिसकारी निकालने लगीं- ऊओह उम्म्ह अहह हय याह दीपक कम ऑन
मैं भी जोश में आ गया, अब मैंने आंटी के मुँह में अपनी जीभ डाल दी और आंटी मेरी जीभ को आइसक्रीम की तरह चूसने लगीं। सच में बहुत मज़ा आ रहा था।
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अब मैंने उनकी नाइटी उतार दी, आंटी ब्लैक ब्रा और ब्लैक पेंटी में थीं, मैं ब्रा के ऊपर से ही उनके बड़े-बड़े मम्मों को दबाने लगा।
आंटी मेरा लंड पैंट से निकाल कर सहलाने लगीं। फिर मैंने उनकी ब्रा भी उतार दी और उन्हें ज़मीन पर लिटा कर उनके एक दूध के निप्पल को मुँह में भर लिया। वो मेरा सर अपने मम्मों पर दबाने लगीं। मैंने आंटी के दोनों मम्मों को चूस-चूस कर निचोड़ डाला।
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फिर मैं आंटी को किस करते हुए नीचे सरकने लगा। वो सीत्कार कर रही थीं। मैं आंटी की पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत पर किस करने लगा। वो अब बहुत गर्म हो चुकी थीं।
अब उन्होंने मुझे उठा कर एक जोरदार किस करते हुए मेरे पूरे कपड़े निकाल दिए। फिर नीचे बैठ कर मेरा लंड बड़ी कामुकता से चूसने लगीं।
अब मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थीं। आंटी बहुत ही अच्छा ब्लोजॉब दे रही थीं। मेरा लंड एकदम कड़क हो चुका था। वो मेरे लंड के आगे वाले हिस्से पर अपनी जीभ बहुत मस्त तरीके से घुमा रही थीं। फिर शिला आंटी बोलीं- अब मुझे चोद दो प्लीज़!
मैंने उन्हें डॉगी पोज़ मैं खड़ा किया और उनके पीछे से उनकी पेंटी नीचे सरका के आंटी को पूरी नंगी किया और एक बार ही में नंगी चूत में पूरा लंड डाल दिया।
वो चिंहुक कर बोलीं- आह्ह जरा आराम से! मैं तेज़-तेज़ चोदने लगा और दोनों हाथों से आंटी के मम्मों को भी दबा रहा था।
वो भी गांड आगे-पीछे करके चुदवा रही थीं। वो बहुत ही अनुभवी चुदक्कड़ लग रही थीं। क्योंकि वो मेरे लंड को अपनी चूत में बहुत अन्दर तक ले रही थीं।
अब उन्होंने मुझे नीचे लेटा कर मेरा लंड अपनी चूत में ले लिया और दोनों हाथ मेरे पैरों पर रख कर बहुत स्पीड में गांड उछाल-उछाल कर चुदने लगीं।
मैं आंटी को चोदने का बहुत मज़ा ले रहा था। फिर मैंने उन्हें खड़ा किया और दीवार के सहारे खड़ा करके उनकी एक टांग अपने हाथ में पकड़ ली और अपना कड़क लंड आंटी की चूत में डाल दिया।
अब मैं आंटी को धकापेल चोदने लगा, वो बस ‘याहह यस्स यस्स बोले जा रही थीं।
हम दोनों पसीना-पसीना हो चुके थे। वो बार-बार लंड को बाहर निकालतीं फिर दोबारा चूत में अन्दर तक डाल लेतीं, जिससे मुझे और भी मज़ा आ रहा था।
अब मैं उनको ज़मीन पर लिटा कर उनकी दोनों टाँगों को अपने कंधों पर रख कर उन्हें चोदने लगा। साथ ही मैं अपने हाथ से आंटी के मम्मों को भी निचोड़ रहा था।
शिला आंटी की चूत पूरी गीली हो कर बहने लगी थी, शायद वो दो बार झड़ चुकी थीं मगर अभी भी मज़े से चुदवा रही थीं।
मेरा लंड भी हार नहीं मान रहा था, बस ज़ोर-ज़ोर से आंटी की चूत में धक्के मारे जा रहा था। आंटी ने फिर मुझे अपने नीचे कर लिया और मेरे लंड पर सवार हो गईं।
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मैंने उनके एक चूचे को अपने मुँह ले कर चूसते हुए उनको चोदने लगा। वो ऊपर से मुझे चोद रही थीं और मैं नीचे से उनकी चूत में धक्के लगा रहा था।
फिर कुछ ही पल बाद उनकी चूत में ही मेरा पानी निकल गया, मेरे ही साथ आंटी भी झड़ गईं, वो झट से चूत हटा कर मेरा लंड मुँह लेकर चाटने लगीं। वो मेरा पानी ऐसे चाट रही थीं जैसे उनको शहद का मज़ा मिल रहा हो।
उन्होंने चाट-चाट कर मेरा लंड पूरा चिकना कर दिया, वो मुझे किस करके बोलीं- तूने तो आज बहुत मज़ा दिया दीपक मैं बोला- मज़ा तो आपने मुझे दिया थैंक्यू आंटी।
उसके बाद हम अपने-अपने कमरों में जाकर सो गए। तब से दोबारा कोई और आंटी नहीं मिली जो चुदाई का मज़ा दे सके।
प्लीज़ दोस्तो मुझे ज़रूर बताना मेरी सेक्स स्टोरी आपको कैसी लगी।
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